हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में हाल में हुई भगदड़ की घटना के बाद प्रदेश सरकार ने प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में कदम उठाए हैं। सरकार ने निर्णय लिया है कि कैंचीधाम, चंडी देवी, नीलकंठ और पूर्णागिरि मंदिर जैसे प्रमुख स्थलों पर भीड़ प्रबंधन को लेकर व्यापक सर्वेक्षण कराया जाएगा। इसके साथ ही गढ़वाल और कुमाऊं के मंडलायुक्तों को इन व्यवस्थाओं के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पर्व-त्योहारों और विशेष अवसरों पर मंदिरों में अचानक भीड़ बढ़ने से भगदड़ की आशंका बनी रहती है, ऐसे में मंदिर परिसरों की भीड़ क्षमता को ध्यान में रखते हुए अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि धार्मिक स्थलों के आसपास के सार्वजनिक स्थानों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए और जहां रास्ते संकरे हैं, उन्हें चौड़ा करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। भीड़ प्रबंधन में तकनीकी सहायता जैसे कैमरे और काउंटिंग डिवाइस का उपयोग किया जाए तथा जरूरत पड़ने पर श्रद्धालुओं को मार्ग में रोकने के लिए विशेष स्थलों की पहचान की जाए।
उन्होंने प्रत्येक धार्मिक स्थल के लिए रूट मैप और सर्कुलेशन प्लान तैयार करने को कहा और तकनीक की मदद से श्रद्धालुओं की संख्या का आकलन करते हुए एक प्रभावी भीड़ नियंत्रण प्रणाली विकसित करने के निर्देश दिए। प्रारंभिक चरण में मनसा देवी, चंडी देवी, नीलकंठ, कैंचीधाम और पूर्णागिरि मंदिर में विशेषज्ञों द्वारा भीड़ प्रबंधन का सर्वे कराया जाएगा।
विशेषज्ञ टीम मंदिर परिसरों में भीड़ के बहाव, निकासी योजना और बॉटल नेक क्षेत्रों का सिविल व तकनीकी विश्लेषण कर एक विस्तृत कार्य योजना और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करेगी। इस बैठक में पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, धीराज सिंह गर्ब्याल और आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप भी उपस्थित थे।