हरिद्वार। बहादराबाद में पूर्व वायुसेनिक भगवान सिंह की हत्या के मामले में चौंकाने वाला सच सामने आया है। पुलिस जांच में पता चला कि हत्या की पूरी साजिश खुद उनके बेटे यशपाल ने रची थी। करोड़ों रुपये की संपत्ति हड़पने की लालच में बेटे ने दो परिचितों के साथ मिलकर पिता की जान लेने की योजना बनाई।
चलती कार में कनपटी पर गोली मारकर हत्या
घटना शनिवार रात की है। भगवान सिंह अपने बेटे यशपाल के साथ एक विवाह समारोह में शामिल होने रोशनाबाद जा रहे थे। इसी दौरान जटवाड़ा पुल के पास एक युवक ने लिफ्ट मांगी और कार में बैठते ही पूर्व सैनिक के सिर पर गोली दाग दी। गंभीर रूप से घायल भगवान सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
पुलिस की सूक्ष्म जांच में खुला राज
घटना की जानकारी पर एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल मौके पर पहुंचे। पूछताछ के दौरान पुलिस को बेटे की कहानी संदिग्ध लगी। सबसे बड़ा सवाल था कि हमलावर ने पिता को निशाना क्यों बनाया और बेटे को क्यों छोड़ा? न लूटपाट हुई, न संघर्ष। अलग-अलग पूछताछ में यशपाल के बयान बदलते रहे, जिससे पुलिस का शक और गहरा हो गया।
संपत्ति को लेकर था विवाद
पुलिस जांच में सामने आया कि एयरफोर्स से 2013 में वीआरएस लेने के बाद भगवान सिंह जमालपुर कलां स्थित जेवीजी कॉलोनी में रहते थे और उनके नाम करोड़ों की संपत्ति थी। बताया गया कि यशपाल लंबे समय से पिता पर संपत्ति अपने नाम कराने का दबाव बना रहा था। कुछ दिन पहले भगवान सिंह ने इसकी साफ मना कर दिया और बेटे को संपत्ति से बेदखल करने तक की चेतावनी दी थी। इसी रंजिश के चलते उसने हत्या की योजना बनाई।
दोस्तों को ₹30 लाख और स्कॉर्पियो देने का लालच
यशपाल ने अपने दो साथियों—राजन उर्फ ललित मोहन (सीतापुर, ज्वालापुर) और शेखर (बालाजीपुरम, सीतापुर)—को हत्या के लिए तैयार किया। बदले में उन्हें ₹30 लाख नकद और एक स्कॉर्पियो देने का वादा किया गया। पुलिस ने दोनों को अवैध तमंचे और कारतूस के साथ गिरफ्तार कर लिया है।
लिफ्ट की कहानी निकली मनगढ़ंत
पुलिस की तकनीकी और फील्ड जांच में साफ हो गया कि लिफ्ट देने की पूरी कहानी एक छलावा थी। यशपाल खुद ही अपने बनाए जाल में फंस गया और अंततः अपराध स्वीकार करना पड़ा।