तुंगनाथ घाटी में मूसलाधार बारिश से भू-धंसाव, केदारघाटी को जोड़ने वाले कुंड पुल पर भी खतरा

उत्तराखंड में इन दिनों माैसम खराब है। बीती रात तुंगनाथ घाटी में मूसलाधार बारिश से काफी नुकसान हुआ है। कुंड-ऊखीमठ-चोपता-गोपेश्वर राजमार्ग पर कई जगहों पर भू-धंसाव हुआ है। वहीं, रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग को केदारघाटी व केदारनाथ से जोड़ने के लिए कुंड स्थित मंदाकिनी नदी पर बना लोहे के पुल पर खतरा मंडराने लगा है। पुल पर भी दरारें पड़ गई हैं। नदी के तेज बहाव से पुल के एक पिलर की बुनियाद तेजी से खोखली हो रही है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। 

बता दें कि तुंगनाथ घाटी के उसाड़ा गांव में मंदाकिनी आकाशकामिनी नदी उफान पर है। जिसके तेज बहाव से व्यापक भू-कटाव हुआ है। गांव में खेती से लेकर रास्तों और कुंड-गोपेश्वर हाइवे पर भी दरारें पड़ गई हैं। 

Uttarakhand Heavy landslide due to rain in Tungnath valley Kund bridge connecting Kedar valley is in danger

केदारघाटी में लगातार हो रही बारिश से मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही बहाव तेज हो गया है। जिससे कई जगहों पर तेजी से भू-कटाव हो रहा है। नदी के तेज बहाव से रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुंड में बना लगभग 48 मीटर स्पान के लोहे का पुल भी खतरे की जद में आ गया है। पुल का एक पिलर नदी के बहाव से खोखला हो रहा है, जिससे बड़े खतरे की आशंका है।

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जिस तरह से पानी की तेज लहरें पिलर की बुनियाद को खोखली कर रही है, उससे क्षेत्रीय जनता के साथ ही प्रशासन व एनएच के अधिकारियों की चिंता भी बढ़ गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड, लोनिवि के अधिकारियों ने रविवार को पुल का स्थलीय निरीक्षण करते हुए पुल से भारी वाहनों की आवाजाही पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। अब, भारी वाहनों को कुंड-चुन्नी बैंड-विद्यापीठ से गुप्तकाशी के लिए रवाना किया जा रहा है।

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वर्ष 1962 में चीन युद्ध के बाद सामरिक सुरक्षा की दृष्टि से ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग के निर्माण किया गया था। साथ ही रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड सड़क भी बनाई गई। वर्ष 1965 में सड़क को जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर कुंड में 50 मीटर स्पान का लोहे का पुल भी बनाया गया। गुप्तकाशी निवासी आचार्य कृष्णानंद नौटियाल बाते हैं कि कुंड से गुप्तकाशी तक सड़क निर्माण पहले हो गया था, लेकिन वाहनों का संचालन नहीं होता था।

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वर्ष 1965 में पुल बनने से वाहन गुप्तकाशी तक दौड़ने लगे, जिससे लोगों की आवाजाही भी सरल हो गई। बाद में हाईवे घोषित होने पर इसका संरक्षण बीआरओ के अधीन हो गया। जून 2013 की आपदा के बाद मंदाकिनी नदी के बहाव में आई तेजी और बैराज से पानी छोड़ने से बढ़ रहे बहाव का असर पुल की बुनियाद भी पड़ रहा है।

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