देहरादून: छोटी-छोटी जमा योजनाओं के माध्यम से निवेशकों को करोड़ों रुपये से ठगने के आरोप में लोनी अर्बन मल्टी क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसायटी (एलयूसीसी) और उसके 46 कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। इस मामले में जुलाई में उच्च न्यायालय ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था। इससे पहले राज्य पुलिस ने इस प्रकरण में कुल 18 प्राथमिकी दर्ज की थीं, जिनमें से 10 में चार्जशीट विशेष बड्स एक्ट अदालत में दाखिल की जा चुकी है।
एलयूसीसी ने उत्तराखंड में 2019 में संचालन शुरू किया था और कुछ ही वर्षों में 35 शाखाएं राज्य के विभिन्न जिलों में खोल दीं। इन शाखाओं के जरिए लोगों से छोटी-छोटी बचत के पैसे जमा किए गए और उच्च ब्याज का लालच देकर निवेश कराया गया। जब करोड़ों रुपये जमा हो गए, अचानक कंपनी के कार्यालय बंद हो गए। एजेंटों ने भी इस अचानक बंदी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी, जिससे निवेशक असहाय हो गए।
पहली प्राथमिकी स्थानीय निवासी महिला तृप्ति नेगी की शिकायत पर कोटद्वार कोतवाली में 1 जून को दर्ज हुई थी। इसके बाद राज्य के कई जिलों से लगातार शिकायतें आईं। पुलिस और सीबीसीआईडी ने कुल 18 प्राथमिकियों की जांच की और इनमें से 10 में चार्जशीट दाखिल की। प्रदेशभर में इस मामले को लेकर महिलाओं ने भी विरोध प्रदर्शन किए।
हाल ही में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई देहरादून शाखा ने कोटद्वार की प्राथमिकी को आधार मानते हुए यह नया मामला दर्ज किया है। इस प्राथमिकी में अन्य प्राथमिकियों के तथ्यों और आरोपी कर्मचारियों के नाम शामिल किए गए हैं।