हरिद्वार: तीर्थ नगरी हरिद्वार में फर्जी साधु-संतों की मौजूदगी को खत्म करने के उद्देश्य से उत्तराखंड पुलिस ने एक विशेष अभियान की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चल रहे इस अभियान को ‘ऑपरेशन कालनेमी’ नाम दिया गया है। इसके तहत ऐसे लोगों की पहचान और गिरफ्तारी की जा रही है जो साधु का वेश धारण कर आम जनता को भ्रमित कर रहे हैं।
इस अभियान की शुरुआत के पहले ही दिन पुलिस ने 50 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इनमें से छह ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जो मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते हैं लेकिन भगवा वस्त्र पहनकर खुद को हिंदू बाबा के रूप में प्रस्तुत कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि इन लोगों को भिक्षा मांगते हुए पकड़ा गया।
AI और फेस रिकॉग्निशन की मदद से कार्रवाई
हरिद्वार पुलिस ने आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए इस अभियान को अंजाम दिया है। कमांड कंट्रोल सेंटर में लगे 350 से अधिक कैमरों और ड्रोन की मदद से शहरभर में निगरानी रखी जा रही है। फेस रिकॉग्निशन तकनीक के जरिए संदिग्धों की पहचान की जा रही है। हर की पौड़ी सहित कई संवेदनशील क्षेत्रों में खास निगरानी रखी गई है।
थानों की अलग-अलग कार्रवाई, कुल 45 से अधिक फर्जी साधु गिरफ्तार
अलग-अलग पुलिस थानों की टीमों ने इस अभियान में भाग लिया। कलियर थाना पुलिस ने छह ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जो मुस्लिम होने के बावजूद साधु के रूप में घूम रहे थे। नगर कोतवाली ने 13, श्यामपुर ने 18, और कनखल थाना पुलिस ने 8 फर्जी बाबाओं को पकड़ा है।
गिरफ्तार हुए लोगों की पहचान
पुलिस ने गिरफ्तार किए गए कुछ व्यक्तियों की पहचान इस प्रकार की है:
- रफीक अंसारी, पुत्र अहमद अंसारी, निवासी नारायणपुर, जिला भागलपुर (बिहार)
- महबूब, पुत्र अब्दुल हनीफ, निवासी बरेली (उत्तर प्रदेश)
- मोहम्मद अहमद, निवासी हरदोई (उत्तर प्रदेश)
- रशीद, निवासी राजगढ़ (मध्य प्रदेश)
- मोहम्मद इमरान, निवासी कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
- मोहम्मद जैन उद्दीन, निवासी पूर्णिया (बिहार)
कांवड़ यात्रा के मद्देनजर सख्त निगरानी
सावन मास में कांवड़ यात्रा के चलते हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह अभियान शुरू किया गया है ताकि धार्मिक माहौल शांतिपूर्ण बना रहे और असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
लंबे समय से मिल रही थीं शिकायतें
हरिद्वार पुलिस के अनुसार, नगर क्षेत्र में लंबे समय से नकली बाबाओं द्वारा आमजन को तंत्र-मंत्र, झूठे आशीर्वाद और चमत्कारी उपायों के नाम पर ठगने की शिकायतें मिल रही थीं। कुछ मामलों में उनके आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने के प्रमाण भी मिले हैं। ऐसे में यह अभियान धार्मिक शहर की गरिमा और श्रद्धालुओं की आस्था की रक्षा के लिए अहम माना जा रहा है।