सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड चुनाव आयोग की याचिका खारिज की, 2 लाख का लगाया जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका खारिज कर दी, जिसमें आयोग ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। यह मामला ग्राम पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के नाम एक से अधिक मतदाता सूची में दर्ज होने से संबंधित था। सुप्रीम कोर्ट ने न केवल याचिका खारिज की, बल्कि आयोग पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आयोग का रुख कानून के विपरीत है और पूछा कि आयोग किस आधार पर वैधानिक प्रावधानों की अनदेखी कर सकता है।

हाईकोर्ट का आदेश
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जुलाई में आयोग की उस सफाई पर रोक लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि यदि उम्मीदवार का नाम एक से अधिक ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में है, तो भी उसका नामांकन पत्र खारिज नहीं किया जाएगा। हाईकोर्ट ने इसे उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के खिलाफ माना।

कानून का स्पष्ट प्रावधान
अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) स्पष्ट करती है कि कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सकता। यदि किसी व्यक्ति का नाम नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत या छावनी परिषद की सूची में है, तो वह तब तक ग्राम पंचायत सूची में शामिल नहीं हो सकता जब तक उसका नाम पहली सूची से हटाया न गया हो।

आयोग की दलील और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि नामांकन पत्र केवल इसलिए खारिज नहीं होना चाहिए कि उम्मीदवार का नाम कई मतदाता सूचियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले से सहमति जताते हुए आयोग की याचिका को आधारहीन ठहराया।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और वैधानिक प्रावधानों के पालन के महत्व को रेखांकित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया है कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह की ढील या कानूनी नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here