ग्राम सलीयर, रुड़की में औषधि विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सरकारी मुहर लगी अवैध दवाओं का भंडार पकड़ा है। इस कार्रवाई का नेतृत्व वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती ने किया। बरामद दवाओं में राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की आपूर्ति के लिए चिह्नित दवाएं भी शामिल थीं, जिन पर स्पष्ट रूप से सरकारी मुहर लगी हुई थी।
विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि स्थानीय प्रतिष्ठान मैसर्स फलक नाज बिना किसी वैध लाइसेंस के दवाओं की बिक्री कर रहा है और आसपास के क्षेत्रों में बिना पंजीकृत चिकित्सकों (झोलाछाप) को दवाएं आपूर्ति कर रहा है। सूचना की पुष्टि के बाद टीम ने प्रतिष्ठान पर छापा मारा।
बरामदगी और कार्रवाई
निरीक्षण के दौरान बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार की एलोपैथिक दवाएं जब्त की गईं। इनमें कई ऐसी दवाएं थीं जो केवल सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के लिए चिह्नित थीं। विभाग ने मौके पर कुल 12 प्रकार की दवाओं को जप्त किया और जप्ती मेमो (फार्म-16) एवं स्पॉट मेमो तैयार किया। सभी दवाओं को गवाहों की मौजूदगी में पैक और सीलबंद किया गया।
पूछताछ के दौरान प्रतिष्ठान संचालक वैध औषधि लाइसेंस या क्रय-विक्रय अभिलेख प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा। विभाग ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है।
जांच जारी
वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती ने बताया कि यह मामला गंभीर है क्योंकि सरकारी आपूर्ति की दवाएं आमतौर पर निशुल्क वितरण के लिए होती हैं। उनका निजी बाजार में पाया जाना किसी बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करता है। विभाग इस बात की गहन जांच कर रहा है कि ये दवाएं सरकारी चैनल से बाहर कैसे आईं और किन लोगों की इसमें भूमिका रही।
औषधि निरीक्षक हरीश सिंह ने कहा कि प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि इन दवाओं की सप्लाई आसपास के क्षेत्रों में कई झोलाछाप तक की जा रही थी। विभाग जल्द ही उनसे भी पूछताछ करेगा। टीम में औषधि निरीक्षक हरीश सिंह और मेघा भी शामिल थीं। इस कार्रवाई से औषधि विभाग की टीम को बड़ी सफलता मिली है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।