देहरादून: उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती समारोह के तहत आयोजित विशेष विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में प्रदेश के 25 वर्षों की विकास यात्रा और अगले 25 वर्षों के रोडमैप पर विस्तृत चर्चा हुई। इससे पहले पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सदन को संबोधित किया था। मंगलवार की कार्यवाही देर शाम तक चली, जिसके बाद सत्र को एक दिन और बढ़ाकर बुधवार तक जारी रखने का निर्णय लिया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मार्गदर्शन में यह संकल्प अवश्य पूरा होगा।

कांग्रेस नेता किशोर उपाध्यक्ष ने चर्चा की शुरुआत करते हुए राज्य के विकास की दिशा पर कई सुझाव दिए। वहीं, कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि उत्तराखंड के निर्माण में सभी दलों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि “पहाड़ और मैदान की बहस अब खत्म होनी चाहिए। हमें एकजुट होकर विकास की दिशा में आगे बढ़ना होगा।”

हृदयेश ने कहा कि एनडी तिवारी और अटल बिहारी वाजपेयी की संयुक्त पहल पर सिडकुल की स्थापना हुई थी, जिससे हजारों परिवारों को रोजगार मिला। उन्होंने वर्तमान व्यवस्था में स्थानीय युवाओं को शीर्ष पदों पर अवसर न मिलने पर चिंता जताई और आउटसोर्सिंग की नीति की आलोचना की।

वहीं, विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में राज्य ने सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार किया है। उन्होंने बताया कि किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने के साथ ही पशुपालन विभाग ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है—13 जिलों में 332 पशु चिकित्सालय स्थापित किए गए और 2 लाख से अधिक पशुओं का बीमा किया गया है।

विधायक खजानदास ने कहा कि उन्होंने उत्तराखंड गठन की प्रक्रिया को स्वयं देखा है। उन्होंने कहा कि “हमें क्षेत्रीय असमानताओं से ऊपर उठकर समग्र विकास पर ध्यान देना होगा। अब समय है कि आने वाले 25 वर्षों में राज्य को शहीदों के सपनों के अनुरूप बनाया जाए।”

उन्होंने कहा कि आईटी पार्क की परिकल्पना एनडी तिवारी की थी, जिसे वर्तमान सरकार ने आगे बढ़ाया है। साथ ही उन्होंने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने के मुख्यमंत्री धामी के निर्णय को ऐतिहासिक बताया।

सदन में कई विधायकों ने अफसरशाही के बढ़ते प्रभाव, उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण, और राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण जैसे मुद्दों को भी उठाया। समग्र रूप से सत्र का दूसरा दिन उत्तराखंड के अतीत, वर्तमान और भविष्य की विकास दिशा पर केंद्रित रहा।