2002 में गुजरात में हुए दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने यह अर्जी दाखिल की थी।
जाकिया जाफरी की ओर से एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 24 जून को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से जाकिया को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि हाई कोर्ट में पहले ही याचिका खारिज हो चुकी थी। जाकिया को शीर्ष अदालत ने उम्मीद थी।
एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल जाकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने फैसला सुनाया उसमें जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार प्रमुख रूप से शामिल हैं।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाफरी की विरोध याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा।शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि जाफरी की याचिका में कोई दम नहीं है।
मजिस्ट्रेट ने तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी समेत 63 लोगों को दंगों की साज़िश रचने के आरोप से मुक्त करने वाली एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया था। हाई कोर्ट भी इस फैसले को सही करार दे चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज़किया की याचिका में मेरिट नहीं है।
एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे, गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगने के एक दिन बाद 59 लोगों की मौत हो गई और गुजरात में दंगे भड़क गए।