सर्जन पिता ने बेटी को पशुओं की तरह बेरहमी से मारा, सर्जिकल ब्लेड से पेट चीर आंत निकाली

हिसार के लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के सर्जिकल विभाग में पशुओं की सर्जरी करने वाले वैज्ञानिक डाॅ. संदीप गोयल ने रविवार को हैवानियत की हदें पार कर दी। उन्होंने खुदकुशी से पहले अपनी 8 साल की बेटी सनाया को बेरहमी से मारने के लिए पशुओं की तरह सर्जरी कर डाली। पिता के दिल में बेटी के प्रति इतना गुस्सा था कि उसने सर्जिकल ब्लेड से उसके शरीर को चीर डाला। पहले गला रेता फिर पेट से आंत बाहर निकालकर रख दी। इसके अलावा चेहरे पर घाव और हाथ की नस तक काटी हुई है। दिल दहलाने वाली घटना को अंजाम देने के बाद वैज्ञानिक ने खुद सर्जिकल ब्लेड से अपने हाथ की नस काट ली। दोनों के शव लहूलुहान हालत में पड़े मिले।

घर पर 5 मिनट में आने की बात कहकर निकले थे
रविवार शाम करीब पांच बजे डॉ. संदीप गोयल अपनी पत्नी नीतू और मां को बेटी सयाना को घुमाने की बात कहकर घर से निकला था। घर से निकलते समय पांच मिनट में आने की बात कही थी। इसके बाद बेटी को स्कूटी पर बैठाकर लुवास में अपने कार्यालय में पहुंचा। यहां आने के बाद कार्यालय को खोला और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उसके बाद काफी देर तक दरवाजा नहीं खोला तो घटना के बारे में पता चला।

लुवास से ही की थी पीएचडी
मूलरूप से नरवाना के रहने वाले डॉ. संदीप गोयल ने लुवास से ही पीएचडी की थी। यहां से पीएचडी करने के बाद वे 2016 में लुवास में सहायक प्राध्यापक के पद पर भर्ती हुए थे। इसके बाद कुछ समय पहले वे वैज्ञानिक बने। सर्जरी विभाग में तैनात थे। कैंसर से ग्रस्त पशुओं की सर्जरी करते थे। करीब छह महीने पहले ही परिवार के साथ पुराने कैंपस में रहने के लिए आए थे। उनकी बेटी सयाना स्माल वंडर स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ती थी।

खुद इकलौते थे, बेटी भी इकलौती थी
एचएयू के पुराने कैंपस में रहने वाले वैज्ञानिक डॉ. संदीप गोयल इकलौते थे। उनके पिता नरवाना में मुनीम का काम करते हैं। डाॅ. संदीप की भी एक ही बेटी थी। आस-पड़ोस के लोगों ने बताया कि डाॅ. संदीप मिलनसार थे। वे अपनी बेटी से बेहद प्यार करते थे। उनके घर पर कोई जाता था तो वे किसी को बिना चाय पिलाये वापस नहीं जाने देते थे। जब से इस दर्दनाक घटना के बारे में पता चला है यकीन नहीं हो रहा कि डॉ. संदीप ऐसा कदम उठा सकते हैं।

चार महीने से चल रही थी दवा
पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि वैज्ञानिक डॉ. संदीप गोयल मानसिक परेशान चल रहे थे। करीब चार महीने से उनकी तनाव की दवा चल रही थी। कयास यहीं लगाया जा रहा है कि मानसिक परेशानी के चलते ऐसा कदम उठाया गया है। फिलहाल पुलिस की जांच जारी है।

रविवार के दिन कार्यालय होता है बंद
रविवार के दिन सभी कार्यालय बंद होते हैं। ऐसे में वैज्ञानिक अपनी बेटी को लेकर अपने कार्यालय पहुंचे और चाबी से ताला खोला और दर्दनाक वारदात को अंजाम दे डाला। हालांकि ये सवाल भी उठ रहे कि रविवार को ऑफिस क्यों खोला गया।

पता होता तो बेटी को नहीं जाने देती
बेटी सयाना की मां नीतू का रो-रो कर बुरा हाल है। रोते समय वह यहीं कह रही थी कि पता होता तो बेटी को नहीं जाने देती। उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया ये पता नहीं। घटना का पता चलने पर परिचित और रिश्तेदार उनके घर पहुंच रहे थे।

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