वेब सीरीज तांडव के निर्माताओं को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इस राहत के लिए हाईकोर्ट जाएं। वहीं वेब सीरीज तांडव के निर्माता, लेखक और अभिनेता के खिलाफ देश भर में दर्ज मामलों को आपस में जोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।
बता दें कि देश भर में सीरीज तांडव निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जा रही हैं। इन विरोध और विवादों के बीच अमेजन प्राइम इंडिया की प्रमुख अपर्णा पुरोहित, निर्माता हिमांशु कृष्ण मेहरा, सीरीज के लेखकर गौरव सोलंकी और एक्टर जीशान अयूब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वेब सीरीज के निर्माताओं ने अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
वेब सीरीज तांडव के निर्माताओं और अभिनेता जीशान अयूब की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में वेब सीरीज के खिलाफ देश भर में दर्ज एफआईआर निरस्त करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्माताओं अग्रिम जमानत और एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि इस राहत के लिए उच्च न्यायालय जाना होगा। इस मामले पर वहीं फैसला होगा। वहीं उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर ठेस पहुंचाने को लेकर वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्देशक व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक को नोटिस जारी किए।
सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि मैं भी इस मामले में हूं। अनुच्छेद 19A के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट आया जा सकता है। यह तय कानूनी स्थिति है। मामले देश भर में हुई एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर कर दिया जाए। इस देश में लोगों की भावना बात बात पर आहत होती है।
सुनवाई के दौरान अभिनेता जीशान अयूब ने कहा, मैं एक अभिनेता हूं। मुझसे भूमिका निभाने के लिए संपर्क हुआ था। इस पर अदालत ने कहा कि आप अभिनेता हैं, लेकिन आप कोई ऐसा किरदार नहीं निभा सकते, जिससे दूसरों की भावनाएं आहत होती हों।
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तांडव को लेकर सियासी बवाल के बाद निर्माता और निर्देशक अली अब्बास जफर पहेल ही एक माफीनामा जारी कर चुके हैं। अली ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट जारी करते हुए लिखा था, ‘हम तांडव वेब सीरीज को मिल रही दर्शकों की प्रतिक्रियाओं को नजदीकी से देख रहे हैं और आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ विमर्श के दौरान उन्होंने हमें बड़ी तादाद में आ रही उन शिकायतों और याचिकाओं के बारे में बताया, जिनमें लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बातें कही गई हैं।