नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ चैटबॉट या टेक्नोलॉजी टूल नहीं रह गया है, बल्कि यह इंसानी जीवन में नई संभावनाएं भी खोल रहा है। The Lancet में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट ने चिकित्सा जगत को चौंका दिया है। इसमें बताया गया है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक AI-आधारित प्रणाली की मदद से ऐसे दंपती को संतान प्राप्त करने में सफलता दिलाई, जो करीब 20 वर्षों से बच्चे के लिए प्रयासरत थे।
रिपोर्ट के अनुसार, 39 वर्षीय पुरुष और 37 वर्षीय महिला कई बार IVF साइकिल और सर्जिकल एक्सट्रैक्शन करा चुके थे, लेकिन हर बार असफल रहे। पारंपरिक जांचों में मरीज के वीर्य नमूनों में कोई सक्रिय स्पर्म नहीं पाया गया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर के निदेशक डॉ. ज़ेव विलियम्स के मुताबिक, “कई बार माइक्रोस्कोपिक जांच में सिर्फ सेलुलर डेब्रिस दिखाई देता है, जबकि जीवित स्पर्म मिलना लगभग असंभव होता है।”
इस चुनौती से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने स्पर्म ट्रैकिंग एंड रिकवरी (STAR) नामक AI तकनीक विकसित की। यह हाई-स्पीड इमेजिंग और मशीन लर्निंग पर आधारित प्रणाली है, जो वीर्य के नमूनों की लाखों छवियों को स्कैन कर उनमें से सक्रिय स्पर्म सेल्स की पहचान करती है। रिपोर्ट के अनुसार, STAR सिस्टम मात्र दो घंटे में 25 लाख से अधिक इमेज का विश्लेषण कर दो हेल्दी स्पर्म सेल्स की पहचान करने में सफल रहा — जबकि पारंपरिक तकनीकें ऐसा नहीं कर पाई थीं।
AI के जरिए पहचाने गए इन स्पर्म सेल्स को माइक्रोफ्लुइडिक चिप और रोबोटिक आर्म की सहायता से अलग कर महिला के परिपक्व अंडों में इंजेक्ट किया गया, जिससे भ्रूण (एंब्रियो) विकसित हुआ और अंततः सफल गर्भधारण हुआ। आठ सप्ताह बाद अल्ट्रासाउंड में सामान्य भ्रूण विकास और स्वस्थ हार्टबीट दर्ज की गई।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह फिलहाल एक ही सफल केस पर आधारित है, लेकिन अगर बड़े क्लिनिकल ट्रायल्स में भी ऐसे ही नतीजे मिले तो STAR तकनीक पुरुष बांझपन (Azoospermia) के इलाज में क्रांतिकारी साबित हो सकती है और लाखों दंपतियों के लिए उम्मीद की नई किरण बन सकती है।