Apple की मैन्युफैक्चरिंग पर चीन की मार, AirPods का उत्पादन भारत में धीमा

Apple के लिए भारत में उत्पादन का विस्तार करना जितना आवश्यक है, उतनी ही यह प्रक्रिया अब चुनौतीपूर्ण भी होती जा रही है। चीन की रणनीतिक नीतियों के चलते टेक दिग्गज को नई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। तेलंगाना के कोंगरा कलां स्थित Foxconn की फैक्ट्री, जहां Apple के AirPods तैयार किए जाते हैं, वहां इन दिनों डिस्प्रोसियम (Dysprosium) की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है। यह दुर्लभ धातु AirPods में उपयोग होने वाले मैग्नेट और अन्य महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लिए आवश्यक होती है।

चीन से आपूर्ति बाधित, प्रोडक्शन पर असर

डिस्प्रोसियम चीन से आयात किया जाता है, लेकिन हाल ही में बीजिंग ने इस और अन्य छह रेयर अर्थ धातुओं के निर्यात पर सख्ती लागू कर दी है। अप्रैल 2025 से लागू हुई इस पाबंदी के तहत अब Foxconn को यह धातु मंगाने के लिए चीन सरकार की अनुमति लेनी होती है। अब तक उन्हें यह मंजूरी नहीं मिली है, जिसके चलते फैक्ट्री में उत्पादन की गति धीमी हो गई है।

केंद्र को भेजा गया मामला

Foxconn ने तेलंगाना सरकार से इस संकट में मदद मांगी, जिसके बाद यह मामला उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) और विदेश मंत्रालय तक पहुंचाया गया है। End User Certificate (EUC) तैयार किया गया है, परंतु चीनी प्रशासन से अब तक औपचारिक स्वीकृति नहीं मिल सकी है।

क्यों जरूरी है Dysprosium?

Dysprosium का उपयोग Neodymium मैग्नेट को उच्च तापमान पर भी स्थिर बनाए रखने के लिए किया जाता है। इसके बिना हाई-परफॉर्मेंस डिवाइस जैसे AirPods, मिलिट्री कम्युनिकेशन सिस्टम, लेजर टेक्नोलॉजी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्माण संभव नहीं है।

Foxconn ने क्या कहा?

कंपनी का कहना है कि प्रोडक्शन पूरी तरह बंद नहीं हुआ है, लेकिन इसकी रफ्तार जरूर धीमी हुई है। वर्तमान में बचे हुए स्टॉक के सहारे निर्माण कार्य जारी है। Foxconn को उम्मीद है कि इस माह के अंत तक आवश्यक अनुमति प्राप्त हो जाएगी।

भारत सरकार सक्रिय

यह मुद्दा अब विदेश मंत्रालय और बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के समक्ष उठाया जा चुका है। सरकार, चीनी प्रशासन से इस पाबंदी में ढील देने की कोशिश में लगी है। ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की अन्य कंपनियों की भी इसी तरह की समस्याओं को सरकार ने संज्ञान में लिया है।

चीन की Rare Earth पर पकड़

चीन वैश्विक स्तर पर Rare Earth धातुओं का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। ये मेटल्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, विंड टर्बाइन्स, रोबोटिक्स और रक्षा प्रणालियों में अहम भूमिका निभाते हैं। 18 जुलाई को चीन ने वर्ष 2025 की पहली Rare Earth माइनिंग कोटा रिपोर्ट भी जारी की है।

भारत में निर्माण पर चीन की पकड़ का असर

Apple भारत में iPhone और AirPods जैसे उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा दे रहा है, लेकिन Rare Earth मेटल्स पर चीन की निर्भरता इस प्रक्रिया में बड़ी बाधा बनकर उभर रही है।

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