मौजूदा समय में वोडाफोन आइडिया में सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी है. अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्या डाफोन आइडिया और देश की सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल का मर्जर होने वाला है? ये सवाल यूं ही नहीं खड़ा हो रहा है. जहां सरकार बीएसएनएल को एक बार फिर से रिवाइव कर रही है. वहीं दूसरी ओर वोडाफोन आइडिया एक बार फिर से खड़ा होने की कोशिश में जुटी है और सरकार से लगातार रियायत दे रही है. अपने कर्ज को कम करने के लिए कंपनी ने सरकार को इक्विटी दी है. ऐसा कंपनी दो बार कर चुकी है. ऐसे में सरकार के पास वीआई की 49 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी हो चुकी है. टेलीकॉम सेक्टर के गलियारों में ये आवाज लगातार गूंज रही है कि दोनों कंपनियों का मर्जर हो सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस मामलें सरकार की ओर से क्या जवाब आया है.
क्या ऐसी है कोई प्लानिंग
ईटी को दिए एक इंटरव्यू में टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया से सवाल किया गया कि क्या बीएसएनएल और वीआई का मर्जर करने की कोई प्लानिंग चल रही है. इस पर उन्होंने नहीं में जवाब दिया. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ऐसी कोई प्लानिंग नहीं है. अगर ऐसी कोई खबर सामने आ रही है तो गलत है. सरकार बीएसएनएल और वीआई को मर्ज नहीं करने जा रही है. इससे पहले उन्होंने इस सवाल का भी जवाब कि क्या सरकार वीआई में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएगी या नहीं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जवाब देते हुए कहा कि अब ऐसा नहीं होगा. वोडाफोन आइडिया में सरकार अब कोई हिस्सेदारी नहीं बढ़ाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार के पास पहले से ही वीआई में 49 फीसदी हिस्सेदारी है. अगर हिस्सेदारी में इजाफा होगाा तो वीआई एक सरकारी कंपनी बन जाएगी.
एजीआर बकाए पर क्या बोले सिंधिया?
Vi का एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू बैलेंस और स्पेक्ट्रम बकाया अभी भी काफी ज्यादा है, और जल्द ही रीपेंमेंट करना होगा. इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जवाब देते हुए कहा कि यह ऐसी चीज है जिससे कंपनी को निपटना होगा. इक्विटी के राहत प्रस्ताव का उपयोग किया गया था, और मैंने 49 फीसदी तक परिवर्तित कर दिया है, अन्यथा आप एक PSU बन जाते हैं. जो सरकार को देना है, वह सरकार को देना है, खिलाड़ियों का यह दायित्व है कि वे सरकार को वह राशि दें. मतलब साफ है कि सरकार अब कंपनी में कोई स्टेक बढ़ाने के मूड में नहीं है. कंपनी को बकाया राशि चुकानी ही होगी.
बीएसएनएल पर क्या है प्लानिंग
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि बीएसएनएल ने 18 साल बाद 262 करोड़ रुपये का तिमाही शुद्ध लाभ दर्ज किया. 72 तिमाहियों तक शुद्ध घाटा दर्ज करने के बाद यह बहुत बड़ी बात है. अब सरकार बीएसएनएल के 4जी रोलआउट को लेकर तेजी के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा कि आज तक, हमने लगभग 90,000 टावर लगाए हैं, जिनमें से 76,000 चालू हो रहे हैं. हम अब आखिरी मील पर काम कर रहे हैं और जुलाई तक हम सभी 100,000 टावर लगा देंगे. एक बार ऐसा हो जाने के बाद, हम सर्विस की क्वालिटी और दूसरे अन्य मापदंडों को मापने पर विचार कर रहे हैं. क्या एक लाख टॉवर पर्याप्त होंगे? इस पर उन्होंने कहा कि नहीं…लेकिन पहले आप 100,000 टावर लगाएं और कोर को स्टेबल करें. एक बार ऐसा हो जाने के बाद, नेटवर्क को बढ़ाया जा सकता है.
क्या 5जी साथ में लॉन्च होगा?
इस बात का जवाब देते हुए सिंधिया ने कहा कि नहीं. एक बार जब 100,000 टावर लग जाएंगे और नेटवर्क स्थिर हो जाएगा, एक बार जब हम देखेंगे कि QoS ठीक है, और फिर हम स्विच करना शुरू करेंगे. 4G से 5G पर जाना इतना मुश्किल नहीं है. क्या आप विदेशी उपकरण सप्लायर्स को बीएसएनएल के 5G कांट्रैक्ट के लिए बोली लगाने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं? उन्होंने ना में सिर हिलाते हुए कहा कि हम ऐसा नहीं कर रहे हैं. हमने अपना खुद का कोर और RAN विकसित किया है. हमें विदेशी प्लेयर्स के लिए अपनी स्वदेशी तकनीक क्यों छोड़नी चाहिए? भारत अब उन 4-5 देशों के चुनिंदा समूह में है जिन्होंने 4G/5G तकनीक विकसित की है. हम विदेशी कंपनियों के प्रतिस्पर्धी होंगे. हम अपनी तकनीक को दुनिया तक ले जाना चाहते हैं.