आईआईटी गुवाहाटी के छात्रों ने ईजाद किए स्वदेशी ड्रोन

IIT Guwahati Develops Drone: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के छात्रों ने ऐसे स्वदेशी ड्रोन तैयार किए हैं जो सेना और पुलिस के लिए खासे मददगार साबित होंगे। आईआईटी गुवाहाटी के एयरोमॉडलिंग क्लब द्वारा नए ड्रोन विकसित किए गए हैं। आईआईटी छात्रों के बनाए गए वेयरहाउस ड्रोन जहां गोदाम प्रबंधन के लिए काम आएंगे वहीं, रीपर ड्रोन सैन्य और कानून उपयोग के लिए, ऑर्निथॉप्टर ड्रोन तंग जगहों में निगरानी के लिए काम आएगा। ऑर्निथॉप्टर ड्रोन पक्षियों के डिजाइन पर आधारित है। 

वर्टिकल टेकऑफ़ और लैंडिंग में सक्षम

आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर चिवुकुला वासुदेव शास्त्री ने कहा कि क्लब छात्रों को एयरोमॉडलिंग में रचनात्मकता, प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करने और आम लोगों के लिए आसान इंटरफेस के साथ स्मार्ट ड्रोन विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। क्लब ने विभिन्न प्रकार के ड्रोन विकसित किए हैं, जिनमें गोदाम प्रबंधन के लिए वेयरहाउस ड्रोन, सैन्य और कानून प्रवर्तन के लिए रीपर ड्रोन, तंग जगहों में निगरानी के लिए पक्षियों के डिजाइन के आधार पर ऑर्निथॉप्टर आदि शामिल हैं। फोटोग्राफी, और ‘रेवेन’, एक स्वदेशी रूप से विकसित वीटीओएल (वर्टिकल टेकऑफ़ और लैंडिंग) सक्षम फिक्स्ड-विंग्ड एयरक्राफ्ट का उपयोग वन्य जीवन के लिए किया जा सकता है। 

सटीकता के साथ टारगेट पर फायरिंग में सक्षम

उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं के अलावा, छात्रों ने एक विशेष ड्रोन भी विकसित किया है जो पूरी सटीकता के साथ टारगेट पर फायरिंग करने में सक्षम है। फायरिंग मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह अगली फायरिंग के लिए पायलट के आदेश की प्रतीक्षा में वापस अपनी पिछली स्थिति में लौट सकता है। शास्त्री ने समझाया कि इनमें थोड़े से बदलाव के साथ, भविष्य के लिए ड्रोन की उपयोगिता को संशोधित किया जा सकता है।   

घायल/फंसे हुए लोगों की खोज में मदद भी करेगा

उन्होंने बताया कि रीपर एक स्वदेशी रूप से विकसित मानव रहित ड्रोन है जिसे मुख्य रूप से सैन्य और कानून प्रवर्तन उपयोगों जैसे कि गश्त, लक्ष्य की पहचान और ट्रैकिंग के लिए डिजाइन किया गया है। ड्रोन का उपयोग बाढ़ या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी किया जा सकता है। यह आपदा प्रबंधन टीमों को हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग का उपयोग करके घायल/फंसे हुए लोगों की खोज में मदद करता है। एक अन्य उपयोग यह है कि यह किसी भी राष्ट्रीय उद्यानों/ अभयारण्यों में वन्य जीवों के व्यवहार का डेटा एकत्र कर सकता है।

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