सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों वोडाफोन, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज द्वारा दायर एजीआर (समायोजित सकल राजस्व) बकाया माफी की याचिकाओं को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने इन याचिकाओं को “गलत धारणा” पर आधारित बताते हुए कहा कि ऐसी याचिकाओं से न्यायालय “स्तब्ध” है। वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से अदालत ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनी से ऐसी अपेक्षा नहीं थी और अदालत इसे खारिज करेगी।
सरकार की मंशा में बाधा नहीं
अदालत ने स्पष्ट किया कि दूरसंचार कंपनियों को राहत देने के सरकार के इरादे में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। वोडाफोन ने अपने एजीआर बकाया के ब्याज, जुर्माने और दंड पर लगभग 30,000 करोड़ रुपये की छूट की मांग की थी।
रोहतगी ने अपनी दलील में कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए याचिकाकर्ता फर्म का अस्तित्व बचाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में ब्याज के इक्विटी रूपांतरण के बाद केंद्र सरकार के पास कंपनी में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी हो गई है।
याचिका में क्या था आग्रह
वोडाफोन की याचिका में कहा गया कि अदालत से पूर्व में दिए गए फैसले की समीक्षा नहीं बल्कि ब्याज, जुर्माना और दंड के ब्याज पर छूट मांगी जा रही है। याचिकाकर्ता ने सरकार से “निष्पक्ष और सार्वजनिक हित में कार्य” करने का आग्रह किया और एजीआर बकाया पर ब्याज और दंड के भुगतान पर जोर न देने का अनुरोध किया।
अदालत ने याचिका को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस प्रकार की मांग न्यायालय के समक्ष स्वीकार्य नहीं है और कंपनियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना होगा।