01 दिसंबर: चार दिन पूर्व मुज़फ्फरनगर सदर तहसील के तहसीलदार संजय सिंह पर लापरवाही, उपेक्षा व अभद्रता बरतने व तहसील कार्यालय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गए थे। तहसील बार संघ के अध्यक्ष योगेन्द्र काम्बोज तथा दस्तावेज लेखक संघ के अध्यक्ष अशोक त्यागी व अन्य कई ज़िम्मेदार लोगों ने खुला आरोप लगाया था कि तहसीलदार निहित स्वार्थों के कारण दाखिल-ख़ारिज़ मामलों की पत्रावलियों पर हस्ताक्षर नहीं करते। दो मास में दाखिल-ख़ारिज़ की एक भी फाइल लौटकर नहीं आई।
चार दिनों की हड़ताल के बाद जब तहसील के रोज़मर्रा के कार्य रुकने से हलचल मची तो एसडीएम सदर परमानन्द झा ने तहसीलदार और हड़तालियों के बीच समझौता करा दिया और चार दिनों से चली हड़ताल टूट गई।
तहसीलों, रजिस्ट्री दफ्तरों की कार्य प्रणाली, कमीशनखोरी (जिसे दस्तावेज लेखक व अधिवक्ता, वादकारियों का पंजीकरण कराने वालों से वसूलते हैं और दफ्तर के हवाले करते हैं) की परम्परा दशकों से चली आ रही है। इस दस्तूर को कोई भी सरकार रोक नहीं पाई।
वकालत और दस्तावेज लेखन के जरिये रोजी-रोटी चलाने वाले लोग इस प्रथा का नाहक विरोध क्यूं करें, जबकि पूरे कुवें में भांग पड़ी है ! हड़ताल की नौबत तभी आती है जब अधिवक्ताओं, दस्तावेज लेखकों व मुवक्किलों के साथ बदजुबानी व अभद्रता शुरू होती है और रिश्वतखोर मगरमच्छों के मुंह चौड़े होने लगते हैं।
वैसे राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली, लेटलतीफी व भ्रष्टाचार की शिकायतें दीर्घकाल से आती रही हैं। भ्रष्टाचार के आरोप व भूमि संबंधी आलेखों, मुआवजा भुगतान में हेरफेर व लापरवाही के आरोप मुजफ्फरनगर के राजस्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों पर पहले भी लगते रहे। अतीत में कई लेखपाल निलंबित भी हुए, गिरफ्तारी की नौबत तक आई।
यह लेटलतीफी या लापरवाही मुजफ्फरनगर में ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में महामारी की भांति व्याप्त है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर में राजस्व विभाग की कार्य प्रणाली की समीक्षा बैठक की तो मंडलायुक्तों व जिला आधिकारियों की सुस्ती व लापरवाही सामने आई। पता चला कि सहारनपुर मंडल के 280 राजस्व मामलों में सिर्फ 42, वाराणसी मंडल के 440 मामलों में मात्र 82, आज़मगढ़ मंडल के 481 में 126, अलीगढ़ में 280 मामलों में मात्र 83, बस्ती में 280 में 114 राजस्व के मामलों का निस्तारण किया गया। राजस्व मामलों के निपटान में न केवल मंडल आयुक्तों की लापरवाही सामने आई बल्कि बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, हापुड़, चित्रकूट, ललितपुर, अमरोहा के जिला मजिस्ट्रेट भी राजस्वकामों में फिसड्डी व लापरवाह साबित हुए। उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव सुधीर गर्ग ने इन लापरवाह कमिश्नरों व कलक्ट्रों से कैफियत तलब की है। । यह ख़ुदा ही जानता है कि जवाबतलबी के बाद राजस्व विभाग की चाल में कुछ तब्दीली आएगी या पुरानी बेढंगी रफ़्तार रहेगी?
गोविन्द वर्मा