01 दिसंबर: इसे एक विडंबना या दुःखद संयोग ही कहा जायेगा कि एक ओर 29 नवंबर को मुज़फ्फरनगर के एसएसपी कार्यालय में यातायात मास के समापन पर पुरष्कार बाटें जा रहे थे और बताया जा रहा था कि एक महीने के दौरान जिले की यातायात पुलिस ने 5491 वाहनों के चालान काटे हैं तथा यातायात नियमों के उल्लंघन पर 78 लाख 43 हजार 300 रुपये जुर्माना ठोका गया है, दूसरी ओर यातायात के सभी नियम-कायदों को धता बताते हुए मंसूरपुर के निकट घासीपुरा कट पर एक ट्रक चालक ने कुलदीप नामक भाई व बहन दीपा को कुचल कर मार डाला। ट्रक के नीचे दबे भाई-बहन व ट्रक को छोड़कर 20 टायरों वाले ट्रक का चालक फरार हो गया।
इस दर्दनाक दुर्घटना से गुस्साए लोगों ने सड़क पर जाम लगा दिया। उनका कहना था कि पुलिस की लाहपरवाही और गैर-जिम्मेदारी के कारण भाई-बहन की अकाल मृत्यु हुई है। पुलिस केवल दो-पहिया वाहन वालों की चेकिंग कर जेबें भर्ती है, बड़े वाहनों की चेकिंग नहीं होती, न ही यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर उनका चालान होता है।
जैसा कि इस प्रकार की दुर्घटनाओं पर अक्सर होता है, जाम की सूचना पर एसडीएम खतौली अपूर्वा यादव घासीपुरा पहुंचीं और आश्वाशन देकर जाम खुलवा दिया। प्रश्न है कि सड़क सुरक्षा के लिए यातायात पुलिस वर्ष में केवल एक मास के लिए ही क्यों विशेष तौर पर सक्रिय होती है ? पूरे वर्ष सतर्कता क्यों बरती नहीं जाती ? जब यातायात महीने का समापन होते समय इतनी भयंकर दुर्घटना हुई, तो पूरे वर्ष कितनी दुर्घटनाएं होती होंगी ? पूछा जा सकता है कि भाई-बहन के हत्यारें ट्रक चालक को पकड़ कर क्या उसे उचित सज़ा दिलाई जाएगी या महज़ कागज़ी कार्यवाही होगी ?
हमने इससे पूर्व भी केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी जी से आग्रह किया था कि वे सड़क दुर्घटनों के आरोपी वाहन चालकों को दंडित करने हेतु बाबा आदम के ज़माने से चले आ रहे नियमों में संसोधन करायें और दुर्घटनायें रोकने को राज्य सरकारों की जिम्मेदारी भी निर्धारित करें। जो दुर्घटनाएं चालक की लाहपरवाही से हुई हैं और जिनमें अमूल्य जानें गई हैं, उन्हें गैर-इरादतन हत्या न मानकर हत्या ही माना जाना चाहिए।
गोविन्द वर्मा