यह बेबी है जो मेरे पुत्र अक्षय वर्मा (टीटू) के हाथ में रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांध रही है। जब पिताश्री ने 65 वर्ष पूर्व मोहल्ला गाजीवाला (जिसे भ्रमवश गाजावाली कहा जाता है) में 3 रुपये 10 आना गज के हिसाब से मकान बनाने को जमीन खरीदी, तब हमारे प्लाट से 4-5 मकानों के बाद एक गरीब खटीक मोतीराम कच्चे कोठे में रहता था। पिताश्री राजरूप सिंह वर्मा और मोतीराम में एक अच्छे व स्नेही पडौसी के संबंध स्थापित हुए। राखी बांधने वाली बेबी मोतीराम की पौत्री है जो उनके पुत्र मूलचन्द की बेटी है। मोतीराम ने कभी अपने पुश्तैनी कार्य (मांस बेचना) नहीं अपनाया। वे बागों में माली थे और फूल, मालायें बेचने का काम करते रहे। उनका पुत्र मूलचंद भी बागों व बगीचों में परिश्रम कर आजीविका चलाता है। पडौसियों का यह संबंध चार पीढ़ियों से बना हुआ है। यह प्रभु की कृपा है।
चि. अक्षय वर्मा को राखी बांधते मोतीराम जी की पौत्री बेबी ।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’