पंजाब में कांग्रेस का नया राजनीती फॉर्मूला जातीय समीकरण के पर आधार तय होगा सीएम

2022 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में अभी से ही सभी दलों की तैयारियां जोरों पर है। आम आदमी पाटी ने पंजाब में सिख चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की है। भाजपा ने दलित को सीएम बनाने का वादा जनता से किया है। अकाली दल ने दलित डिप्टी सीएम बनाने की बात कही है। ऐसे में अब कांग्रेस में भी जातीय संतुलन बनाकर सीएम चेहरा बनाने की कवायद चल रही है।

पंजाब का जातीय समीकरण तीन भागों में बंटा है, माझा, मालवा और दोआबा। पंजाब में कुल मतदाताओं में करीब 20 फीसदी जाट सिख हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में ‘आप’ ने जाट सिखों में पैठ बनाई थी। सभी राजनीतिक दल जाट सिख पर ही अपना दांव खेलते आए हैं। जाट सिख पंजाब का सीएम बनता आया है। पंजाब में 32 फीसदी दलित मतदाता हैं और दोआबा में जीत का आधार दलित व हिंदू मतदाता ही बनते हैं। राज्य में 38 फीसदी के करीब हिंदू मतदाता हैं। 

दो उप मुख्यमंत्री ला रही कांग्रेस, जाखड़ हिंदू चेहरा
कैप्टन के सीएम पद से हटने के बाद हिंदू चेहरे के रूप में जाखड़ का नाम आगे किया गया है। दो डिप्टी सीएम बनाने की भी चर्चा है। जिसमें एक दलित और दूसरे के लिए पार्टी में विचार चल रहा है। पंजाब कांग्रेस में हुए इस सियासी बदलाव के बाद जाखड़ को हिंदू चेहरे के रूप में कांग्रेस ला रही है। साथ ही दो उपमुख्यमंत्री का भी पार्टी ने विकल्प रखा है।  
विधानसभा चुनाव में वोटों का होगा ध्रुवीकरण
बहरहाल राज्य में जैसे हालात बन रहे हैं, उसमें एक बात तो तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों का खूब ध्रुवीकरण होगा। कहीं दलित समाज इसका केंद्र बिंदु होगा तो कहीं जाट सिख बनाम गैर जाट वोटों का बंटवारा होगा। कांग्रेस का मुख्य वोट दलित सिख और हिंदू वर्ग से आता है। वहीं, अकाली दल एक तरह से मुख्यधारा के सिखों और धनी जाटों (जट सिख) में अपनी पैठ से ही सत्ता में आता है। आप अभी तक राज्य में अपना कोई विशेष वोट बैंक स्थापित नहीं कर पाई है। 

शिअद-बसपा गठबंधन से ग्रामीण दलित वोट शेयर में आएगा बदलाव
इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि इस बार पंजाब की स्थिति काफी बदल चुकी है। बसपा का शिअद से गठबंधन जहां ग्रामीण दलित वोटों को एकजुट कर वोट शेयर में बदलाव लाएगा। वहीं 25 वर्षो तक लगातार हिंदू-सिख एकता के प्रतीक रहे अकाली-भाजपा गठबंधन में दरार अब नि:संदेह राज्य में हिंदू वोट बैंक को भी नए सिरे से अपनी राजनीतिक प्राथमिकताएं तय करने पर बाध्य करेगी। ऐसे में कांग्रेस के दिग्गजों की नजर हिंदू वोट बैंक पर है, जिनके बलबूते पर पंजाब में सरकार बनती है। 

शहरी हिंदुओं में कैप्टन की पैठ
कैप्टन अमरिंदर सिंह का हिंदूओं में खासा जनाधार था। कारण वह राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बेबाक बोलते थे और आतंकवाद के खिलाफ उनकी ललकार सुनने को मिलती थी। ऐसे में शहरी वर्ग कांग्रेस के लिए हमेशा खड़ा होता आया है। शहर के लोगों ने आतंकवाद का काला दौर देखा है। आतंकवाद को पंजाब से खत्म करने का श्रेय कांग्रेस को जाता है। वहीं कांग्रेस हाईकमान हिंदू नेताओं को आगे लाने पर विचार कर रहा है। सुनील जाखड़, ब्रह्म मोहिंदरा और विजय इंदर सिंगला के नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में हैं।

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