भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-3 का उद्देश्य इंजीनियरिंग और विज्ञान के व्यापक क्षेत्रों में भागीदारी को बढ़ावा देना है। इसरो चेयरमेन ने क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए एक वैज्ञानिक पूल तैयार करने पर जोर दिया। इससे अंतरिक्ष अन्वेषण के साथ साथ अलग अलग औद्योगिक क्षेत्रों को भी बल मिलेगा।
आकर्षित हो रही है युवा पीढ़ी- एस सोमनाथ
इसरो चेयरमैन ने कहा कि चंद्रयान-3 का महत्व इसी बात से पता चलता है कि अंतरिक्ष अनुसंधान के साथ-साथ विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में युवाओं की रूचि बढ़ रही है। अब नई पीढ़ी को अंतरिक्ष क्षेत्र की नई चुनौतियों की तरफ आकर्षित हो रही है। एस. सोमनाथ ने आगे कहा कि हमें युवा पीढ़ी को आकर्षित करने की आवश्यकता है। युवाओं को विज्ञान और इंजीनियरिंग में चुनौतियों के बारे में बताना जरूरी है। चंद्रमा मिशन में सफलता की वजह से युवाओं के भीतर अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है।
इसरो चीफ ने चंद्रमा मिशन के बारे में बताते हुए कहा कि अब युवाओं की एआई, रोबोटिक्स, फसल बीमा के लिए रिमोट सेंसिंग, दूरसंचार उपकरण विनिर्माण, चिकित्सा तकनीकी उपकरण उत्पादन में रुचि बढ़ने की उम्मीद है।
‘इलेक्ट्रॉनिक्स पर जोर देना जरूरी’
एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रमा मिशन की सफलता से न केवल अंतरिक्ष-संबंधी क्षेत्रों को बल मिला है, बल्कि इंजीनियरिंग, गणित और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के लिए भी रास्ते खोले हैं। इसरो चीफ ने कहा कि हम आईटी क्षेत्र में बहुत अच्छा कर रहे हैं लेकिन अब हमने इलेक्ट्रॉनिक्स पर जोर देना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि हम सिस्टम के आपूर्तिकर्ता हैं लेकिन निर्माता नहीं लेकिन धीरे-धीरे हम इस ओर बढ़ रहे हैं।
नए प्रोजक्ट के बारे में दी जानकारी
अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग के बारे में बोलते हुए एस सोमनाथ ने कहा कि इसरो एक संयुक्त उपग्रह NISAR (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) बना रहा है। उन्होंने कहा, इसरो इस उद्देश्य के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के साथ गठजोड़ कर रहा है।