‘देश की आइसोलेटिड आबादी में कोरोना का खतरा ज्यादा’, नई स्टडी में दावा

CSIR–CCMB और BHU के रिसर्चर्स के नेतृत्व में की गई एक स्टडी में सामने आया है कि भारत की आइसोलेटिड आबादी में कोरोना का आनुवांशिक जोखिम ज्यादा है. इस तरह के छोटे समुदायों की आबादी में अंडमान की ओंगे और जरावा जनजातियां शामिल हैं. जर्नल जीन्स एंड इम्युनिटी में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि सरकार को इन अलग-थलग समूहों की उच्च प्राथमिकता सुरक्षा और अत्यधिक देखभाल पर विचार करना चाहिए.

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CSIR-CCMB) हैदराबाद के कुमारसामी थंगराज और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के सह-नेतृत्व वाली शोध टीम ने नोट किया कि कोरोना ने पूरी दुनिया में विभिन्न जातीय समूहों को प्रभावित किया है.

कई विदेशी समुदाय विलुप्त होने की कगार पर

हाल ही में यह बताया गया है कि ब्राजील के स्वदेशी समूह कोरोना वायरस से बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं. इन समुदायों की तुलना दोगुनी थी. शोधकर्ताओं के अनुसार यह भी दिखाया गया कि इस महामारी के कारण कई स्वदेशी समुदाय विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं. उन्होंने नोट किया कि भारत में अंडमान द्वीप वासियों सहित कई स्वदेशी और छोटे समुदाय भी हैं जो अलग-थलग रह रहे हैं. शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 13 संस्थानों के 11 वैज्ञानिकों को शामिल करते हुए 227 भारतीय आबादी के समुदायों का जीनोमिक विश्लेषण किया है.

पहली बार जीनोमिक डाटा का इस्तेमाल

Homozygous एक आनुवंशिक स्थिति है जहां एक व्यक्ति को माता-पिता दोनों से एक विशेष जीन के लिए समान जीन प्रकार या एलील विरासत में मिलते हैं. बीएचयू में मॉलिक्यूलर एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर चौबे ने कहा, अलग-थलग आबादी के बीच कोरोना के प्रभाव पर कुछ अटकलें हो सकती हैं. हालांकि पहली बार जीनोमिक डेटा का उपयोग उन पर इसके जोखिम तक पहुंचने के लिए किया गया है. यह दृष्टिकोण COVID-19 के लिए आबादी के जोखिम को मापने के लिए उपयोगी होगा.

इन समुदायों में मिली उच्च संवेदनशीलता

शोध दल ने 227 आबादी के समूह के 1600 से ज्यादा व्यक्तियों के उच्च घनत्व वाले जीनोमिक डेटा की जांच की और अंडमान जनजाति ओन्गे और जरावा के बीच COVID-19 जोखिम के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता देखी. शोधकर्ताओं के मुताबिक छोटी आबादी में इस तरह की महामारी का अधिक खतरा हो सकता है. इसलिए हमने दक्षिण एशियाई आबादी के बीच आरओएच का विश्लेषण किया है. कुछ जीनोमिक क्षेत्रों में होमोज़ायगोसिटी के लंबे समय तक चलने से COVID-19 के लिए संवेदनशीलता बढ़ सकती है.

इन आदिवासी जनजातियों पर संकट

ग्रेट अंडमानी, ओन्गे, जरावा और प्रहरी इन द्वीपों की आदिवासी आबादी है. चौबे ने कहा, इन आदिवासियों की कुल जनगणना 1000 से भी कम है. अध्ययन में पाया गया है कि ये आदिवासी आबादी संरक्षित क्षेत्रों में रहती है और आम जनता को उनके साथ बातचीत करने की अनुमति नहीं है. हालांकि, सामान्य आबादी के बीच द्वीप पर मामलों की संख्या को देखते हुए, वे मुख्य रूप से अवैध घुसपैठियों और स्वास्थ्य से अधिक जोखिम में हैं.

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