कोणार्क के कालचक्र के सामने दुनिया !

9 सितंबर। भारत की प्राचीन गौरवशाली सनातन संस्कृति एवं सामर्थ्य को दुनिया के रूबरू करते हुए वैश्विक समस्याओं या विवादों को शांति-सदभाव से हल करने का आह्वान किया। साथ ही भीषण भूकम्प से प्रसित मोरक्को को आश्वस्त किया कि संकट के इन क्षणों में पूरा विश्व मोरक्को के साथ खड़ा है। कोरोना काल की विभीषिका में अनेक देशों की मदद व रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न विवाद को आपसी सहमति से हल करने की अपील के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अफ्रीकी यूनियन को जी-20 का सदस्य बनाने की घोषणा कर चीन की चालबाजियों का करारा जवाब दिया।

नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों का आत्मीयतापूर्ण स्वागत कर भारत की ‘अतिथि देवो भव:’ की पुरातन भावना को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया।

प्रगति मैदान पर नव निर्मित भारत मंडपम में आयोजित जी-20 देशों के सम्मेलन में शामिल होने वाले राष्ट्राध्यक्षों को प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश द्वार पर स्थापित तेरहवीं शताब्दी में सम्राट नरसिंह देव प्रथम द्वारा कोणार्क के सूर्यमन्दिर स्थित ‘कालचक्र’ के इतिहास एवं उसके फलसफे से परिचित कराया। चोलवंश के शासकों द्वारा बृहदेश्वर मन्दिर में स्थापित सृजन एवं विनाश के देवता नटराज (शिव) की योग मुद्राओं की मूर्ति की विशालकाय प्रतिकृति निहार कर विदेशी अतिथि चमत्कृत हो गए।

नरेन्द्र मोदी ने भारत के आदर्श वाक्य ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ से संसार को परिचित कराया। महा उपनिषद का यह पूरा श्लोक यह है- अयं निजःपरोवेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम्।।- यह तेरा है, यह मेरा है, यह छोटी बुद्धिवाले सोचते हैं। उदार चिन्तन वाले पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं।

नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को बताया कि वैमनस्य एवं तनावग्रसित विश्व के लिए आज भी भारत का सहस्रों वर्ष पुराना विचार कल्याणकारी है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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