अपनी ही पार्टी में चुनौतियों का सामना कर रहे लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान का भाजपा को लेकर दर्द छलका पड़ा। उन्होंने मंगलवार को कहा कि भाजपा के साथ उनके संबंध ‘एकतरफा’ नहीं रह सकते हैं। यदि उन्हें घेरने का प्रयास जारी रहा तो वह अपने भविष्य के राजनीतिक कदमों को लेकर सभी संभावनाओं पर विचार करेंगे।
चिराग ने पीटीआई से चर्चा में कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान और वह हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा के साथ ‘चट्टान’ की तरह खड़े रहे, लेकिन जब इस ‘कठिन’ समय के दौरान उनके हस्तक्षेप की उम्मीद थी, तो भगवा दल साथ नहीं था।
पीएम मोदी में विश्वास कायम
चिराग ने रेखांकित किया कि उनका पीएम मोदी में विश्वास कायम है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर आपको घेरा जाता है, धकेला जाता है और कोई फैसला लेने के लिए मजबूर किया जाता है, तो पार्टी सभी संभावनाओं पर विचार करेगी। लोजपा को अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में इस आधार पर निर्णय लेना होगा कि कौन उसके साथ खड़ा था और कौन नहीं।
भगवा दल का चुप रहना उचित नहीं था
यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा लोजपा संकट के दौरान भाजपा ने उनसे संपर्क किया था, उन्होंने कहा कि भगवा दल का चुप रहना उचित नहीं था, जबकि जद (यू) लोजपा में विभाजन के लिए ‘काम कर रही थी।’ चिराग ने कहा, ‘मुझे उम्मीद थी कि वे (भाजपा) मध्यस्थता करेंगे और चीजों को सुलझाने का प्रयास करेंगे। उनकी चुप्पी निश्चित रूप से आहत करती है।’
भाजपा ने कहा है कि लोजपा का संकट क्षेत्रीय पार्टी का आंतरिक मामला है। बता दें, स्व. रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के खिलाफ उनके ही चाचा पशुपति पारस ने बगावत की और उन्हें अध्यक्ष पद से हटाते हुए पार्टी पर कब्जा कर लिया है। चिराग इस मामले में चाचा के खिलाफ कानूनी लड़ाई की चेतावनी दे चुके हैं।