यह चुनाव सरकार की सत्तावादी नीतियों का विरोध में एक कदम: यशवंत सिन्हा

विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने रविवार को कहा कि 18 जुलाई का राष्ट्रपति चुनाव व्यक्तिगत मुकाबले से कहीं अधिक है और सरकार की सत्तावादी प्रवृति का विरोध करने की दिशा में एक कदम है। 

एक इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा कि वह अपने बेटे व भाजपा सांसद जयंत सिन्हा का समर्थन नहीं मिलने को लेकर किसी भी ‘धर्म संकट’ में नहीं हैं। सिन्हा ने कहा, वह अपने ‘राज धर्म’ का पालन कर रहे हैं, मैं अपने ‘राष्ट्र धर्म’ का पालन करूंगा। 
सिन्हा ने कहा, “यह चुनाव भारत के राष्ट्रपति के चुनाव से कही अधिक है, यह चुनाव सरकार की सत्तावादी नीतियों का विरोध करने की दिशा में एक कदम है।”

भाजपा नीत राजग द्वारा आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामित किए जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा ने कहा कि एक व्यक्ति को ऊपर उठाना पूरे समुदाय का उत्थान सुनिश्चित नहीं करता है और भाजपा का मुर्मू पर दांव राजनीतिक प्रतीकवाद से ज्यादा कुछ नहीं है।

सिन्हा ने कहा, “सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे अनुभव से कह सकता हूं कि एक व्यक्ति का उत्थान पूरे समुदाय को नहीं बढ़ाता है। पूरे समुदाय का उत्थान सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों पर निर्भर करता है।” उन्होंने आगे कहा, “मैं कहूंगा कि हमारे अपने इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक समुदाय में एक व्यक्ति के उत्थान ने उस समुदाय को एक इंच भी भी ऊपर उठाने में मदद नहीं की है। यह प्रतीकात्मक अधिक है और कुछ नहीं।”

सिन्हा ने कहा कि मुकाबला उनकी व्यक्तिगत लड़ाई से बहुत बड़ा है और जब तक लोग नहीं जागते और पूरी व्यवस्था में सुधार नहीं होता तब तक हम सुरंग के अंत में प्रकाश नहीं देख पाएंगे।

उन्होंने कहा, “हमारा  लोकतंत्र, हमारा संविधान खतरे में हैं और स्वतंत्रता संग्राम के सभी मूल्य खतरे में हैं..इसलिए भारत को खतरा है और उन्हें भारत की रक्षा के लिए उठ खड़ा होना होगा।” उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से सोचते हैं कि लोग सड़कों पर तभी उतरते हैं जब राजनीतिक व्यवस्था विफल होने लगती है। 

उन्होंने कहा, “आज हमारे देश की राजनीति इतनी कमजोरियों से ग्रस्त है कि लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए।”

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए कैबिनेट का हिस्सा रहे सिन्हा ने कहा कि अगर वह चुने जाते हैं, तो वह राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों के “दुरुपयोग” को तत्काल समाप्त कर देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय और निष्पक्षता बनी रहे।

सिन्हा सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। उनके साथ राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सीताराम येचुरी, शरद पवार और ममता बनर्जी समेत कई विपक्षी नेताओं के आने की उम्मीद है।

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