थॉमस कप: पीएम मोदी ने लक्ष्य के दादा और पिता का भी फोन पर जिक्र किया

थॉमस कप में जीत का परचम लहराने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे और पहला सिंगल जीतने वाले उत्तराखंड निवासी लक्ष्य सेन ने कहा 14 बार जो टीम जीत चुकी थी, उस टीम को हराना सपने सरीखा रहा। हमारी टीम बैलेंस थी और टीम ने एकजुटता से एक दूसरे की मदद की। 

अमर उजाला से बातचीत में लक्ष्य ने बताया कि जीत के बाद हर जगह से बधाई संदेश आ रहे हैं। सबसे बड़ी खुशी तब मिली जब प्रधानमंत्री ने टीम से और उनसे बात की। रविवार शाम को प्रधानमंत्री ने उनसे फोन पर बात करते हुए कहा तुम्हारी तीनों पीढ़ियां बैडमिंटन में हैं। तुम्हारे दादा, पिता और तुम। अरे भाई बाल मिठाई खिलानी पड़ेगी।

लक्ष्य ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। टीम के लिए पहला सिंगल खेला और टीम को जीत दिलाना खुशी का पल रहा। इस जीत से भारतीय बैडमिंटन बहुत ऊपर जाएगी। टीम ने एक दूसरे को काफी सपोर्ट किया। पिता डीके सेन ने कोच के तौर पर काफी हेल्प की। टीम में 10 खिलाड़ी, छह कोच समेत स्पोर्ट स्टाफ की और देश की जीत है। यह माइल स्टोन है।

अब तक लक्ष्य की विशेष उपलब्धि

  • स्पेन में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल
  • दिल्ली में हुए इंडिया ओपन में गोल्ड मेडल
  • जर्मन ओपन में सिल्वर मेडल
  • आल इंग्लैंड टूर्नामेंट में सिल्वर 
  • थॉमस कप में टीम को गोल्ड मेडल

लक्ष्य ने लक्ष्य पाया, लोगों ने प्यार लुटाया

थॉमस कप के फाइनल में भारत ने 14 बार की चैंपियन इंडोनेशिया की टीम को हराकर इतिहास रचा। लक्ष्य सेन और सात्विक चिराग की जोड़ी के बाद किदांबी श्रीकांत ने तीसरा मैच जीता और भारत को पहली बार थॉमस कप का चैंपियन बना दिया अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन की इस उपलब्धि पर नगर के लोगों ने खुशी जताई है। खिलाड़ियों ने स्टेडियम में मिष्ठान वितरित जीत की खुशी का इजहार किया। उत्तरांचल राज्य बैडमिंटन संघ के सचिव बीएस मनकोटी, उत्तरांचल राज्य बैडमिंटन संघ की अध्यक्ष डॉ. अलकनंदा अशोक, पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी, जिला बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष प्रशांत जोशी, उपाध्यक्ष प्रशासनिक गोकुल सिंह मेहता आदि ने लक्ष्य की उपलब्धि पर खुशी जताई है।

चार साल की उम्र से खेलने वाले लक्ष्य ने छुआ आसमान

लक्ष्य ने चार साल की उम्र से खेलना शुरू कर दिया था। लक्ष्य की दसवीं तक की पढ़ाई अल्मोड़ा के बीयरशिवा स्कूल में ही हुई। लक्ष्य के पिता डीके सेन बैडमिंटन के नामी कोच हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं। लक्ष्य सेन के दादा सीएल सेन को अल्मोड़ा में बैडमिंटन का पितामह कहा जाता है। लक्ष्य सेन ने 10 वर्ष की उम्र में पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता था। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने इजरायल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिंगल में स्वर्ण, एशिया जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, लिनिंग सिंगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज में स्वर्ण, इंडिया इंटरनेशनल सीरीज के सीनियर वर्ग में स्वर्ण, योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में रजत समेत समेत कई राष्ट्रीय और अंतराराष्ट्रीय चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया है।

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