मुजफ्फरपुर में तीन-तीन अस्पताल ‘भूत बंगले’ में तब्दील, हॉस्पिटल को ही चाहिए इलाज


बिहार के बड़े शहरों में शुमार मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए नगर निगम ने भी अस्पताल खोला था। इनमें डॉक्टरों की नियुक्ति भी होती थी। मगर एक बार डॉक्टर रिटायर हुए तो निगम की ओर से इनका सुध लेना ही छोड़ दिया गया। अब ये अस्पताल कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। अंदर जाने से भी डर लगता है।


पक्की सराय अस्पताल


शहर के बीचोबीच पक्की सराय चौक पर नगर निगम का अस्पताल है। नगर निगम इस अस्पताल का देखरेख करता था। अब तो ये बिल्डिंग ‘भूतहा’ बन गया है। इसकी सुध लेनेवाला कोई नहीं है। वरना कोरोनाकाल में जब मरीज मारे-मारे फिर रहे थे तो इसका बेहतर इस्तेमाल हो सकता था। इसमें मरीजों का इलाज तो नहीं होता बल्कि बकरियों के रखने के काम में जरूर आता है।


बहलखाना हॉस्पिटल


बहलखाना स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर आरएन शर्मा रिटायर क्या हुए, मानो अस्पताल से नगर निगम ने मुंह ही फेर लिया। जब डॉक्टर नहीं रहेंगे तो भला मरीज क्यों आएंगे। नगर निगम के लिए अब ये अस्पताल गोदाम के तौर पर काम आता है।


तिलक मैदान अस्पताल


तिलक मैदान स्थित आयुर्वेद अस्पताल तो अतिक्रमण का शिकार है। अस्पताल को खुद ही इलाज की जरूरत है। इसका छत कभी भी गिर सकता है। पूरे मामले पर मेयर सुरेश कुमार का कहना है कि जल्द ही निगमकर्मियों और नगरवासियों के लिए स्वास्थ्य केंद्रों को फिर से शुरू किया जाएगा।

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