
भारत सरकार ने हाल ही में जीएसटी दरों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिसके तहत दोपहिया वाहन, कार, ट्रैक्टर, बस, कमर्शियल व्हीकल और ऑटो पार्ट्स पर टैक्स कम कर दिया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, इस सुधार से वाहनों की कीमतें घटेंगी, लॉजिस्टिक्स बेहतर होगा और शहरी व ग्रामीण दोनों बाजारों में मांग बढ़ेगी।
मंत्रालय ने कहा कि यह कदम एमएसएमई को मजबूत करेगा, नए रोजगार पैदा करेगा और क्लीन व इफिशिएंट मोबिलिटी को बढ़ावा देगा। सरल और स्थिर टैक्स ढांचा मैन्युफैक्चरिंग की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा, किसानों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स के लिए मददगार साबित होगा और मेक इन इंडिया व पीएम गति शक्ति जैसे राष्ट्रीय अभियानों को सुदृढ़ करेगा।
वाहनों की कीमतों में कमी
सबसे बड़ा असर दोपहिया वाहनों, छोटी कारों, ट्रैक्टरों, बसों और ट्रकों की कीमतों में होगा। कीमतें घटने से मांग बढ़ेगी, जिससे मैन्युफैक्चरिंग, सेल्स, लॉजिस्टिक्स और सर्विस सेक्टर में नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही, एनबीएफसी, बैंक और फिनटेक कंपनियों के जरिए कर्ज पर वाहन खरीदना आसान होगा।
3.5 करोड़ नौकरियों पर असर
जीएसटी सुधार से ऑटो और उससे जुड़ी इंडस्ट्री में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों का समर्थन मिलेगा। इससे टायर, बैटरी, ग्लास, स्टील, प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे छोटे उद्योगों को भी फायदा होगा। ड्राइवर, मैकेनिक, गिग वर्कर्स और सर्विस सेक्टर में भी रोजगार के मौके बढ़ेंगे।
साथ ही, पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की जगह नए, फ्यूल-इफिशिएंट वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। बस और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ट्रैफिक जाम और प्रदूषण कम होगा।
नई दरें और बदलाव
- बाइक (350cc तक): 28% से घटाकर 18%
- छोटी कारें: 28% से घटाकर 18%
- ट्रैक्टर (<1800cc): 12% से घटाकर 5%
- ट्रैक्टर टायर और पार्ट्स: 18% से घटाकर 5%
- बस (10+ सीटें): 28% से घटाकर 18%
- ऑटो पार्ट्स: ज्यादातर पर अब 18%
- बड़ी और लग्ज़री कारों पर 40% की दर कायम
सरलीकृत जीएसटी ढांचा
पहले जीएसटी चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) में था, लेकिन 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में इसे दो मुख्य दरों पर लाया गया है – 5% (मेरेट रेट) और 18% (स्टैंडर्ड रेट)। लग्जरी/सिन गुड्स के लिए 40% की दर जारी रहेगी।
यह नया ढांचा 22 सितंबर 2025 से लागू होगा और इसे सरकार ने “नेक्स्ट-जेन जीएसटी रेशनलाइजेशन” कहा है। इसका मकसद नागरिकों का टैक्स बोझ घटाना और अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाना है।