भारत ऑटो उद्योग के नए वैश्विक केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। जापान की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियां—टोयोटा, होंडा और सुजुकी—अब चीन पर निर्भरता घटाकर भारत में बड़े निवेश की तैयारी कर रही हैं। तीनों कंपनियां मिलकर करीब 11 अरब डॉलर (लगभग 90 हजार करोड़ रुपये) भारत में निवेश करेंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, जापान की यह रणनीतिक दिशा भारत को विश्व ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।
भारत को मिल रहा नया औद्योगिक भरोसा
दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता टोयोटा और भारत के बाजार में करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली सुजुकी ने अपने निवेश की योजनाओं की पुष्टि की है। वहीं होंडा ने भारत को अपनी इलेक्ट्रिक कारों के उत्पादन और निर्यात का प्रमुख केंद्र बनाने की घोषणा की है।
चीन पर घटता भरोसा, भारत में दिखा अवसर
विश्लेषकों का कहना है कि चीन के ईवी बाजार में चल रही तीव्र प्रतिस्पर्धा और घटते मुनाफे ने जापानी कंपनियों को नई रणनीति पर विचार करने को मजबूर किया है। वहीं दक्षिण-पूर्व एशिया में चीनी कंपनियों की बढ़ती पकड़ भी जापान के लिए चुनौती बन गई है। लंदन की पेलहम स्मिथर्स एसोसिएट्स की ऑटो विश्लेषक जूली बूते का कहना है, “भारत, जापान के लिए चीन की तुलना में अधिक स्थिर और प्रतिस्पर्धी विकल्प बनकर उभरा है।”
निवेश के आंकड़े बदल रहे समीकरण
2021 से 2024 के बीच जापान का भारत के परिवहन क्षेत्र में निवेश सात गुना बढ़कर 294 अरब येन (लगभग 16 हजार करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है। वहीं चीन में इसी अवधि में यह निवेश 83 प्रतिशत घटकर 46 अरब येन पर सिमट गया।
टोयोटा और सुजुकी की नई योजनाएं
टोयोटा भारत में हाइब्रिड वाहनों के लिए स्थानीय पार्ट्स निर्माण को बढ़ावा दे रही है और 2030 तक 15 नए और अपडेटेड मॉडल लॉन्च करने की योजना बना रही है। कंपनी महाराष्ट्र में नया प्लांट लगाने की तैयारी में है, जिससे उसकी उत्पादन क्षमता सालाना 10 लाख गाड़ियों से अधिक हो जाएगी।
दूसरी ओर, सुजुकी 8 अरब डॉलर (लगभग 67 हजार करोड़ रुपये) के निवेश से अपनी उत्पादन क्षमता को 2.5 मिलियन से बढ़ाकर 4 मिलियन कारें प्रति वर्ष करने जा रही है। सुजुकी के अध्यक्ष तोशिहिरो सुजुकी ने कहा, “हम भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करेंगे और निर्यात क्षमता बढ़ाएंगे।”
होंडा की ईवी रणनीति
होंडा ने भारत को अपनी ग्लोबल ईवी स्ट्रैटेजी का अहम हिस्सा बताया है। कंपनी की योजना है कि 2027 से भारत में ‘जीरो सीरीज’ इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन शुरू कर उन्हें जापान और एशियाई देशों में निर्यात किया जाए। होंडा के सीईओ तोशिहिरो मिबे ने कहा, “भारत अब अमेरिका के बाद हमारा दूसरा सबसे महत्वपूर्ण बाजार है।”
‘मेक इन इंडिया’ नीति ने बदले हालात
भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर और सरकार की मेक इन इंडिया नीति विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक साबित हो रही है। वहीं चीन पर लगाए गए निवेश प्रतिबंधों ने जापानी कंपनियों के लिए नए अवसर खोल दिए हैं। एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के विश्लेषक गौरव वंगाल के अनुसार, “भारत की औद्योगिक नीति जापानी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिला रही है।”
घरेलू कंपनियों से कड़ी चुनौती
टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी भारतीय कंपनियां एसयूवी सेगमेंट में तेजी से विस्तार कर रही हैं, जिससे सुजुकी की बाजार हिस्सेदारी महामारी से पहले के 50 प्रतिशत से घटकर अब लगभग 40 प्रतिशत पर आ गई है।
भारत बनेगा जापान का नया ऑटो हब
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश सिर्फ एक कारोबारी निर्णय नहीं, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन के पुनर्गठन की शुरुआत है। भारत अब सिर्फ एक बड़ा बाजार नहीं, बल्कि आने वाले दशक में जापानी कंपनियों के लिए सबसे प्रमुख ऑटो मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में उभरने की दिशा में बढ़ रहा है।