प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला श्रद्धा और आस्था का पर्व रहा, लेकिन इसके साथ कुछ घटनाएं ऐसी भी रहीं, जो लंबे समय तक लोगों की स्मृतियों में दर्ज रहेंगी। शाही स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों की सकारात्मक छवियों के साथ-साथ, कुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ और उससे जुड़ी मौतों ने पूरे आयोजन को एक कड़वे अनुभव में भी बदल दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि आज तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इस भगदड़ में कुल कितने लोगों की जान गई।
सरकारी आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट्स में अंतर
सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से 37 लोगों की मृत्यु की बात कही गई, जबकि एक मीडिया संस्था की जांच में यह संख्या 82 तक पहुंचती बताई गई है। यही रिपोर्ट अब राजनीतिक बहस का मुद्दा बन चुकी है, जिसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार
इस मामले में न सिर्फ विपक्ष और मीडिया सक्रिय हैं, बल्कि न्यायपालिका ने भी सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक पीठ, जिसमें जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस संदीप जैन शामिल थे, ने राज्य सरकार को तीखी फटकार लगाते हुए कहा कि पीड़ित परिवारों को अभी तक घोषित मुआवजा नहीं दिया गया है, जो प्रशासनिक लापरवाही की ओर संकेत करता है। यह याचिका उदय प्रताप सिंह द्वारा दायर की गई थी, जिनकी पत्नी सुनैना देवी की भगदड़ में मौत हो गई थी।
कोर्ट के सामने उठे तीन प्रमुख प्रश्न
- मुआवजे में देरी: अदालत ने सवाल उठाया कि जब सरकार ने पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा की थी, तो अब तक उसे अमल में क्यों नहीं लाया गया। हादसा 28-29 जनवरी की रात हुआ था, और सरकार ने शुरू में 30 मौतें मानी थीं, बाद में यह संख्या 37 कर दी गई।
- इलाज और मृतकों की जानकारी: अदालत ने मेडिकल रिकॉर्ड, अस्पतालों में भर्ती लोगों की सूची और इलाज करने वाले डॉक्टरों के नाम सहित विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
- प्रशासनिक चूक: याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी का पोस्टमार्टम नहीं किया गया और न ही यह बताया गया कि उन्हें अस्पताल कब और कैसे लाया गया। अदालत ने इसे प्रशासन की गंभीर लापरवाही माना।
अखिलेश यादव ने उठाए सवाल
अखिलेश यादव ने इस पूरे मुद्दे पर योगी सरकार को आड़े हाथों लिया और पूछा कि मृतकों की संख्या को लेकर भ्रम क्यों है? साथ ही, यदि मुआवजा दिया गया है तो नकद भुगतान का आदेश किसने दिया? उन्होंने कहा, “जो लोग मौत पर झूठ बोल सकते हैं, उन पर भरोसा कैसे किया जा सकता है?”