वन्देभारत ट्रेनों के साथ अब फ्रेट कॉरिडोर पर गद्दारों का निशाना !


27 नवंबर: भारत की चहुंमुखी प्रगति तथा बढ़ते सामर्थ्य से बौखलाये भारत के शत्रुओं के दलाल अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं। यह पूरा देश जानता है कि तेज़ी से बढ़ते भारत की प्रगति व सरकार को अस्थिर करने के मकसद में जुटे कट्टरपंथियों ने तीव्रगति से दौड़ने वाली वन्देभारत ट्रेनों पर हमले व तोड़फोड़ शुरू कर दी। ये हमले केरल से लेकर मुजफ्फरनगर के संधावली तक हुए। यह रेलवे मंत्रालय तथा पुलिस प्रशासन की शर्मनाक नाकामी है कि 100 से ज्यादा हमले करने वाले एक भी दोषी को कानून के कटघरे में नहीं खड़ा किया गया। प्रशासन व पुलिस तथा रेल मंत्रालय का कर्त्तव्य था कि हमलावर देशद्रोहियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाता। यह सरकार की बड़ी विफलता है, जिसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं।

वन्देभारत ट्रेनों के बाद देश के गद्दारों ने अब सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘डेडीकेटिड फ्रेट कॉरिडोर को अपना निशाना बनाया है। पंजाब से पश्चिमी बंगाल तक 1800 किमी से अधिक लम्बी रेल लाइन कई राज्यों से गुज़रती है। पिछले महीने कथित ‘चोरों’ ने खुर्जा से मेरठ के बीच सेंसर किट तथा लोकेशन बॉक्स चुरा लिए थे। इनकी संख्या 150 बताई गई थी। जापान से आयात किये गए एक संयंत्र का मूल्य 5 लाख रुपये था। रेलवे मंत्रालय और पुलिस की नाअहली, निकम्मेपन का नतीजा है कि खुर्जा से सहारनपुर के बीच मालगाड़ियों की पटरियों से फिटिंग क्लिप प्रतिदिन चुराये जा रहे हैं। रेल कर्मचारी चरणसिंह चोरी की रपट हर दिन थाने में दर्ज कराता है। अब तक 130 करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी सम्पत्ति चुराई जा चुकी है। रेलवे के तकनीकी विभाग के लोगों का कहना है कि फिटिंग क्लिप निकालने से मालगाड़ियां पटरी से उतर सकती हैं क्यूंकि वे तेज़ रफ़्तार से दौड़ती हैं। इन चोरियों के पीछे मालगाड़ियों को दुर्घनाग्रस्त करने का इरादा हो सकता है।

सीधा प्रश्न है कि रेलमंत्री और चेयरमैन रेलवे बोर्ड इस ओर ध्यान क्यूं नहीं देते ? उनके आँख-कान क्या बन्द हो चुके हैं ? अंधे-बहरों के सहारे वन्देभारत और फ्रेट कॉरिडोर पर गाड़ियां सुरक्षित कैसे दौडेंगी? सवारी व मालगाड़ियों की सेवा बाधित करने वालों को बेपर्दा करना सरकार की जुम्मेदारी है। पुलिस नाकारा है तो इसके लिए भी तो सरकार ही जिम्मेदार है !

गोविन्द वर्मा

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