उदयपुर से बदायूं !

बदायूं की मंडी समिति की पुलिस चौकी से मात्र 500 मीटर दूर दो अबोध बच्चों की निर्ममता पूर्वक हत्या की गई, तीसरा बच्चा इरादतन की जाने वाली हत्या के प्रयास से बच गया और बाद में हत्यारें साजिद के एनकाउंटर की खबर पूरी दुनिया में फैल चुकी है लेकिन इस हैवानियत पर समूचा सेकुलरवादी गैंग मौन साधे बैठा है। वोटों की ख़ातिर मुस्लिम समाज को दशकों से गुमराह करता चला आ रहा राजनीतिक परिवार अलबत्ता सामने आया है। रामगोपाल यादव ने न तो निर्मम हत्या पर शोक जताया, न ही बिलखते हुए माता-पिता के प्रति संवेदना के दो शब्द ही कहे, सिर्फ यह कहा कि चुनाव आते ही भारतीय जनता पार्टी दंगा करा देती है (गनीमत है कि इतना बड़ा जघन्य कांड होने के बाद भी बदायूं में कोई बवाल नहीं हुआ), शिवपाल यादव ने सवाल किया है कि पुलिस ने साजिद का एनकाउंटर क्यों किया, वह जिन्दा होता तो बच्चों की हत्या की कोई वजह बताता! अखिलेश यादव ने बच्चों की मौत पर मातमपुर्सी करने के बजाय कह दिया कि योगी की जीरो टॉलरेंस की नीति जीरो हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने तो बदायूं कांड पर जंगल राज का आरोप मढ़ कर मुख्यमंत्री योगी का इस्तीफा ही मांग लिया।

यह सच्चाई खुलकर सामने आ चुकी है कि बच्चों की हत्या या ठेकेदार विनोद ठाकुर के पूरे परिवार को क़त्ल करने के इरादे के पीछे किसी प्रकार की रंजिश नहीं थी। क़तर से लेकर हैदराबाद, देवबंद, कोलकाता में जुबैर पंचर ने जो माहौल नूपुर शर्मा को लेकर बनाया था, उसकी हवा पूरे देश में अंदर ही अंदर बह रही है। 2047 तक भारत विश्व गुरु बनेगा या गजवा-ए-हिंद चलेगा। बदायूं की यह घटना इस साजिश की प्रतीक है। ऐसे बहुत से लोग है जिनके दिलों में हरवक्त उदयपुर, अमरावती उमड़ती है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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