यूक्रेन-रूस:रूस के खिलाफ इंग्लैंड का बड़ा एक्शन

यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia-Ukraine crisis) से अमेरिका और यूरोप समेत पूरी दुनिया खफा है. रूस पर आर्थिक प्रतिबंध (Sanctions on Russia) लगाया जा रहा है. शनिवार को रूस पर SWIFT इंटरनेशनल पेमेंट का प्रतिबंध लगाया गया. इसी सिलसिले में ब्रिटिश मल्टी नेशनल ऑयल एंड गैस कंपनी BP ने एक बड़ा फैसला लिया है. उसने रूस की दूसरी सबसे बड़ी सरकारी कंपनी Rosneft में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. ऑयल एंड गैस मेजर बीपी के पास रोजनेफ्ट में 19.75 फीसदी हिस्सेदारी है जिसे वह पूरा-पूरा बेचना चाहती है. माना जा रहा है कि इसकी वैल्युएशन करीब 25 बिलियन डॉलर यानी 1.75 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा होगी. बीपी ने साल 2013 में रोजनेफ्ट में हिस्सेदारी खरीदी थी.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बीपी के चीफ एग्जीक्यूटिव बर्नार्ड लूनी और पूर्व डायरेक्टर बॉब डूडली रोजनेफ्ट के बोर्ड से इस्तीफा देंगे. इस फैसले को लेकर लूनी ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले से हम आहत हैं. इसी के कारण हमने रोजनेफ्ट के साथ बिजनेस नहीं करने का फैसला किया है.

रूस का सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है BP

BP रूस का सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है. बीपी के उठाए गए कदम के बाद अब सबकी नजर अन्य यूरोपियन कंपनियों पर हैं जिनका कारोबार रूस में है. फ्रांस की कंपनी टोटल एनर्जी (TTEF) और ब्रिटिश शेल (SHEL) का भी रूस में बड़े पैमाने पर निवेश है. पश्चिमी देशों की सरकार का वहां की कंपनियों पर रूस में ऑपरेशन को लेकर लगातार दबाव भी बन रहा है.

हजारों करोड़ केवल डिविडेंड से आते हैं

बीपी के फैसले पर रोजनेफ्ट ने कहा कि कंपनी पर ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक दबाव बनाया है जिसके कारण यह फैसला लिया गया है. इस फैसले से 30 सालों का को-ऑपरेशन टूट गया. बीपी की कमाई में रोजनेफ्ट का बड़ा योगदान है. साल 2021 में रोजनेफ्ट ने बीपी को 640 मिलियन डॉलर का डिविडेंड जारी किया था जो उसके ओवरऑल कैशफ्लो का 3 फीसदी था.

यूरोपियन कंपनियों का रूस में बड़ा निवेश

रूस में कई यूरोपियन कंपनियों का बड़ा बिजनेस है. फ्रेंच ऑयल कंपनी टोटल एनर्जी के पास नोवाटेक (Novatek) में 19.4 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि यमल एनएनजी प्रोजेक्ट (Yamal LNG project) में 20 फीसदी हिस्सेदारी है. नोवाटेक रूस की दूसरी सबसे बड़ी नैचुरल गैस प्रोड्यूसर है. साथ ही गैस प्रोडक्शन वॉल्यूम के लिहाज से यह दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी कंपनी है.

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