15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश व पंजाब समेत पांच राज्यों में मतदान की तारीखों का एलान कर दिया है। किसान नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए वह कठिन रास्ता हैं, क्योंकि केंद्र ने अभी तक फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अजय मिश्रा को कैबिनेट से निकालने की उनकी मांगों को पूरा नहीं किया है। किसान नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), 44 किसान संघों की संस्था है। लंबित मांगों पर प्रगति की समीक्षा और भविष्य की रणनीति को लेकर 15 जनवरी को बैठक की जाएगी।  

किसान नेता और एसकेएम सदस्य अभिमन्यु सिंह कोहड़ ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान लोगों का भाजपा के प्रति प्यार खत्म हो गया है। यही वजह है कि पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे किसानी वाले राज्यों के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि चूंकि चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान कर दिया है। अब कोई नया काम नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि किसानों की कुछ प्रमुख मांगें अभी लंबित रहेंगी।

एमएसपी की गारंटी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर निकालना किसानों की प्रमुख मांगें हैं। अभी तक यह पूरी नहीं हुई हैं। लोग बीजेपी से नाखुश हैं और ये मुद्दे पंजाब और उत्तर प्रदेश में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। एसकेएम इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 15 जनवरी को बैठक करेगा और भविष्य की रणनीति तैयार होगी। कोहड़ ने कहा कि पंजाब सरकार पहले ही आंदोलन के दौरान दर्ज किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने की घोषणा कर चुकी है। हरियाणा में भी राज्य सरकार ने 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में एक आदेश जारी किया था। भारतीय किसान संघ (बीकेयू) का भी मानना है कि किसान आंदोलन ने प्रभाव डाला है और उनके मुद्दे चुनाव में निर्णायक रहेंगे, खासकर पंजाब और उत्तर प्रदेश में। भारतीय किसान संघ भी संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली किसान संघ बीकेयू ने कहा कि एमएसपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘ट्रेनी’ के मुद्दे चुनाव में भाजपा की उम्मीदों को झटका देंगे। अजय मिश्रा के बेटे लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी हैं।

बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने आरोप लगाया कि केंद्र ने उस तरह से काम नहीं किया जैसा उसे करना चाहिए था, जैसा कि लखीमपुर खीरी मामले में हुआ है। केंद्र को केंद्रीय मंत्री को हटाना चाहिए था। एमएसपी एक और बड़ा मुद्दा है जिसका असर पूरे राज्यों में है। उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनावों में इसका निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने से सरकार को फायदा होगा।

भुला दिए गए किसान इस समय केंद्र के लिए सबसे बड़ा मुद्दा हैं। यह केवल दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के कारण हुआ है। उपाध्याय ने कहा कि मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हजारों किसानों ने 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध शुरू किया था। एक साल से अधिक समय तक किसानों का विरोध जारी रहा और किसान 11 दिसंबर 2021 को कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद घर वापस लौट गए और केंद्र सरकार ने उन्हें अन्य मांगों पर भी विचार करने का आश्वासन दिया। जिसमें एमएसपी पर एक समिति और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेना शामिल है।

यह है पांच राज्यों का चुनाव कार्यक्रम
भारत निर्वाचन आयोग ने शनिवार को पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में 10 फरवरी से सात मार्च के बीच सात चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की है। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होगा। पंजाब (117 सीटें), उत्तराखंड (70 सीटें) और गोवा (40 सीटें) में 14 फरवरी को एक चरण में मतदान होगा। मणिपुर में दो चरणों में मतदान होगा। 27 फरवरी को 38 सीटों और तीन मार्च को 22 सीटों पर मतदान होगा। सभी राज्यों में मतगणना 10 मार्च को होगी। 

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