प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक मंच से बार-बार कह रहे हैं कि आतंकवाद व धार्मिक कट्टरता के विरुद्ध दुनिया के सभी देशों को मिल कर नकारात्मक ताकतों से लड़ना चाहिए। हाल ही में दुबई यात्रा पर गए मोदी ने ये ही विचार खुलकर व्यक्त किये।
संसार भर में आतंकवाद व मजहबी कट्टरता मानवता का गला घोटने को उतारू हैं। यहाँ तक कि जिन देशों ने मुस्लिम शरणार्थियों को पनाह दी, वहां भी कट्टरपंथी शरणार्थियों ने आगजनी, तोड़फोड़ व दंगे भड़काये हैं। पिछले कुछ महीनों में फ्रांस को मुस्लिम कट्टरपंथियों की साजिश व गद्दारी का शिकार बनना पड़ा। देश के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने के संकट से अमेरिका तथा यूरोप के कई देश जूझ रहे हैं।
ब्रिटेन में पाकिस्तानी आप्रवासी वहां की राजनीतिक व्यवस्था खुर्दबुर्द करने पर जुटे रहते हैं यद्यपि वहां गैर-कानूनी घुसपैठ की समस्या नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस्लामिक कट्टरपंथियों की अमेरिका विरोधी गतिविधियों से बहुत परेशान हलकान थे।
आतंकवाद व कट्टरवाद पर अनेक देशों का दोहरा रवैया है। फिर भी दुनिया में मजहबी कट्टरता के विरुद्ध सूझबूझ बढ़ रही है।मज़हबी कट्टरता कभी-कभी, कहीं-कहीं लोकतंत्र का लबादा ओढ़ कर आक्रमक होती है और कहीं सीधे धावा बोलती है।
भारत तो सदियों से इसका शिकार है। इसीलिए मोदी दुनिया को आगाह कर रहे हैं। इस जागरूकता का परिणाम है कि नीदरलैंड (हॉलैंड) के आम चुनावों में इस्लामिक कट्टरवाद के धुर विरोधी गीर्ट वाइडर्ल्स को बड़ी सफलता मिली है, यद्यपि उनकी पार्टी को चुनाव में बहुमत नहीं मिला। सम्भावना है कि साझा सरकार बनने पर गीर्ट हॉलैंड के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। मुस्लिम कट्टरवादी गीर्ट से इस कदर खार खाये हुए हैं कि वे उनकी हत्या की कई बार कोशिश कर चुके हैं। अर्जेन्टाइना के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित जोनियर मिलई का चुना जाना भी कट्टरपंथ के विरुद्ध बढ़ते हुए रुझान का संकेत है क्यूंकि मिलई को भी कट्टरपंथी मुस्लिमों का विरोधी माना जाता है। इस तरह मोदी की कट्टरवाद विरोधी नीति दुनिया में रंग ला रही है।
गोविन्द वर्मा