प्रयागराज। यूपी की योगी सरकार द्वारा लव जिहाद के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए बनाए गए धर्मांतरण कानून को लेकर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. धर्मांतरण कानून के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल कर सोशल एक्टिविस्ट आनंद मालवीय ने इसे चुनौती दी है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को जनहित याचिका पर 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट 5 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगी.
एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस अनिल कुमार ओझा की डिविजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई. जनहित याचिका में धर्मांतरण कानून को संविधान विरोधी और गैरजरूरी बताते हुए इसे चुनौती दी गई है. जनहित याचिका में कहा गया है कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. इस कानून के सियासी दुरुपयोग किए जाने की भी आशंका जताई गई है. गौरतलब है कि धर्मांतरण कानून के खिलाफ पहले से ही दो जनहित याचिकाएं दाखिल हैं।इन जनहित याचिकाओं पर यूपी सरकार पहले ही कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर चुकी है. अब सभी याचिकाओं पर अब एक साथ सुनवाई होने की उम्मीद है.
बता दें कि इससे पहले 23 जून 2021 को धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अध्यादेश कानून बन चुका है, ऐसे में इसे चुनौती देने का अब कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कानून को चुनौती देने की संशोधन अर्जी दाखिल करने की मंजूरी दी थी. इसी के आधार पर यह जनहित याचिका दाखिल की गई है.