आगरा में बंदरो से नागरिक परेशान, बच्चों को कर रहे हैं घायल

ताजनगरी में बंदरों की तादाद तेजी से बढ़ती जा रही है। भीषण गर्मी में बंदर हिंसक हो गए हैं। आए दिन लोगों को काटकर घायल कर रहे हैं। राजामंडी और बेलनगंज में लोगों ने घरों को चारों तरफ से जालियों से बंद करा लिया है, ताकि बंदरों से निजात मिल सके। बॉलकनी में बच्चे बंदरों की वजह से खेल नहीं पाते हैं। बेलनगंज, दरेसी, मोतीगंज, फुव्वारा, रोशन मोहल्ला, हींग की मंडी के पुराने शहर इलाके बंदरों की समस्या से जूझ रहे हैं। 

इसी तरह राजामंडी, गोकुलपुरा, बल्का बस्ती, छिपैटी में बंदरों की तादाद बढ़ने से लोग परेशान हैं। बंदरों के झुंड घर और दुकानों की छतों पर बैठे रहते हैं। बंदरों की समस्या के कारण राजामंडी, बल्का बस्ती, बेलनगंज, हींग की मंडी जैसे इलाकों में लोगों ने घरों की खिड़कियों और बालकनी को भी जाली से ढकवा दिया है। इसके बाद भी बंदरों की समस्या से मुक्ति नहीं मिल सकी है। वह आए दिन बच्चों पर झपट्टा मार देते हैं। गर्मी में ज्यादा हिंसक हो गए हैं।

बंदरों से बचाव के लिए मकान में लगा जाल

क्षेत्रीय निवासी प्रेम प्रकाश गुप्ता ने कहा कि लेन गऊशाला में बंदरों का झुंड सिटी स्टेशन पर डेरा जमाए रहता है। ये बंदर घरों में घुसकर फ्रिज तक से सामान ले जाते हैं। पास में ही मोतीगंज गल्ला मंडी है, ऐसे में बंदरों की समस्या यहां काफी बढ़ गई है।

उछल-कूद करते बंद

राजामंडी निवासी पूनम अग्रवाल ने कहा कि घर की बॉलकनी में बंदरों ने कब्जा जमा रखा था। जालियां लगवा लीं तो छत पर डेरा जमा लिया। डिश केबल को रोज तोड़ देते हैं। पेड़ पौधे भी सुरक्षित नहीं रह पाते हैं। बच्चे बंदरों के कारण गली में नहीं खेलते।

दीवार पर बैठे बंदर

पुनिया पाड़ा के रितेश कुमार ने कहा कि बंदरों ने दो सप्ताह पहले बच्चे को काट लिया था। गलियों में ठंडक होने के कारण दोपहर में बंदरों के झुंड इनमें बैठे रहते हैं। ऐसे में बच्चे स्कूल से घर तक आने में डरते हैं। उन्हें लेने के लिए किसी अभिभावक को जाना होता है। 

दीवार पर बैठे बंदर

जिला अस्पताल में बढ़ गए बंदर, कुत्ता काटे के मरीज

जिला अस्पताल में बंदर और कुत्ता काटे के एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए जाते हैं। 15 दिन में बंदर और कुत्ता काटने के मरीजों की संख्या प्रतिदिन 250 से अधिक हो चुकी है। जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल ने बताया कि 250 मरीजों में साठ फीसदी कुत्ता काटने और 40 फीसदी बंदर काटने के मरीज होते हैं। 

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