लखनऊ: उत्तर प्रदेश एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (UP ATS) ने राज्य में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को पकड़ने के लिए विशेष ऑपरेशन लॉन्च किया है. इसके तहत अब तक 11 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें बीते दिनों गाजियाबाद से गिरफ्तार नूर आलम और आमिर हुसैन भी शामिल हैं.
इन दोनों को लखनऊ में 5 दिन की रिमांड पर लाया गया था. इस दौरान पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं. यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ये रोहिंग्या फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर बांग्लादेश के रास्ते भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करते हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में बस रहे हैं.
गाजियाबाद से गिरफ्तार नूर आलम रोहिंग्या को भारत में अवैध रूप से बसाने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड है. यूपी एटीएस ने अब तक नूर समेत 11 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. ये सभी पड़ोसी मुल्कों में रोहिंग्याओं के साथ हो रही ज्यादती के बारे में मस्जिदों में तकरीर भी देते थे.
प्रशांत कुमार के मुताबिक रोहिंग्या इस समय हर विधानसभा क्षेत्र में रह रहे हैं. इनकी पहचान कर पाना इस वजह से मुश्किल होता है क्योंकि इनके पास आधार कार्ड और वोटर कार्ड मौजूद रहते हैं. वह आम जनता में घुल-मिल जाते हैं और चुनाव में वोटिंग भी कर सकते हैं. इसके लिए इनको अच्छी खासी रकम भी दी जाती है.
यूपी एटीएस ने इसी साल 6 जनवरी को संत कबीर नगर जिले के समर्थन गांव में बसे रोहिंग्या अजीजुल्लाह को गिरफ्तार किया था. इसके बाद 28 फरवरी को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रह रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा गया था. फारुख के भाई शाहिद को 1 मार्च को उन्नाव से दबोचा गया. शाहिद के बहनोई जुबेर के बारे में भी एटीएस को जानकारी मिली है, लेकिन वह अभी हाथ नहीं लग सका है.
एटीएस ने शाहिद के पास से 5 लाख रुपये और भारतीय नागरिकता से जुड़े फर्जी दस्तावेज बरामद किए थे. एडीजी एल/ओ प्रशांत कुमार के मुताबिक ये रोहिंग्या रोजगार के लिए अलीगढ़, आगरा, उन्नाव के स्लॉटर हाउस में काम करते हैं. दलाल इनकी कमाई से कुछ हिस्सा कमीशन के तौर पर लेते हैं और इनको इस काम के लिए लगातार भारत में प्रवेश कराते रहते हैं.