बागपत। सिसाना गांव के जंगलों में स्थित खंडवारी स्थल से प्राचीन सभ्यता के नए संकेत मिले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां दो से चार हजार साल पुरानी गुप्त और उत्तर गुप्तकालीन संस्कृति के अवशेष मौजूद हैं। शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शुभम केवलिया और छात्र हर्षित ने स्थल का चार घंटे तक सर्वेक्षण कर मिट्टी के बर्तन (मृदभांड) एकत्र किए। डॉ. केवलिया ने खंडवारी को महाभारतकालीन धरोहर होने की संभावना जताई।
खंडवारी क्षेत्र में पहले की गई खुदाई के दौरान प्राचीन दीवारें सामने आई थीं, जिनकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों ने इसे मंदिर का अवशेष मानकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी। इसके बाद मेरठ से पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने मौके पर पहुंचकर मृदभांड और हड्डियों के नमूने जुटाए थे। उस समय भी विशेषज्ञों ने यहां गुप्तकालीन सभ्यता के होने की बात कही थी।
शुक्रवार को प्रोफेसर केवलिया ने दीवारों की संरचना और वहां मिली ईंटों का निरीक्षण किया। उन्हें यहां पेंटेड ग्रेवेयर (चित्रित धूसर मृदभांड) और लगभग दो हजार वर्ष पुराने खिलौनों के अवशेष भी मिले, जो लंबे समय तक मानव निवास के संकेत देते हैं।
डॉ. केवलिया, जिन्होंने सिनौली स्थल पर पीएचडी की है और लाक्षागृह, कुर्डी व बामनौली जैसे पुरातात्विक स्थलों का भी अध्ययन किया है, का कहना है कि खंडवारी में मिली दीवारें मंदिर या कुएं की न होकर गुप्त और उत्तर गुप्तकालीन ईंटों के ढांचे जैसी प्रतीत होती हैं। उनका कहना है कि विस्तृत अध्ययन के बाद ही इस स्थल के ऐतिहासिक स्वरूप पर सटीक निष्कर्ष निकाला जा सकेगा।