मेरठ के खरखौदा स्थित नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जिसे पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल संचालित करती हैं, लगातार जांच एजेंसियों के रडार पर रहा है। ईडी द्वारा हालिया छापेमारी से पहले यहां राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच कर चुके हैं। एनएमसी की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद से ही डॉ. अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती चली गईं।

फैकल्टी, मरीजों और ओपीडी में अनियमितताओं की शिकायतें

एक जुलाई को एनएमसी की टीम ने मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था। शिकायतों में कहा गया था कि कॉलेज में निर्धारित मानकों के अनुरूप फैकल्टी उपलब्ध नहीं हैं, वहीं छात्रों के पंजीयन और शिक्षण व्यवस्था में भी गंभीर खामियां मिलीं। टीम को मरीजों की भर्ती और ओपीडी संचालन में फर्जीवाड़े की जानकारी भी मिली। साथ ही कॉलेज में एमबीबीएस की 50 अतिरिक्त सीटें स्वीकृत कराने के लिए रिश्वत देने का आरोप सामने आया।

सीबीआई ने भी कॉलेज और आवास पर मारी थी दबिश

एनएमसी की रिपोर्ट और मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर तीन डॉक्टरों सहित छह लोगों की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के बाद, दो जुलाई को सीबीआई ने कॉलेज परिसर और डॉ. सरोजिनी अग्रवाल के आवास पर तलाशी ली थी। इस दौरान उनकी बेटी शिवानी अग्रवाल से भी सीट बढ़ाने के आवेदन से जुड़े सवालों पर विस्तृत पूछताछ की गई। कॉलेज में वर्तमान में 150 एमबीबीएस सीटें हैं, जबकि अतिरिक्त 50 सीटों के लिए आवेदन किया गया था। जांच के दौरान फैकल्टी की संख्या को फर्जी तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की बात भी सामने आई।

परिवार के खिलाफ कई मामले दर्ज

डॉ. सरोजिनी अग्रवाल, उनकी बेटी शिवानी और अन्य परिजनों के खिलाफ विभिन्न मामलों में एफआईआर दर्ज हैं। एमबीबीएस सीट आवंटन में अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने दिल्ली में भी शिवानी अग्रवाल पर केस दर्ज किया है। इसके अलावा, मवाना निवासी रितु सचदेवा ने 10 लाख रुपये की कथित धोखाधड़ी का मामला दौराला थाने में दर्ज कराया था, जिसमें फ्लैट आवंटन में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया।

राजनीतिक बदलाव के साथ कॉलेज का नाम भी बदला

डॉ. सरोजिनी अग्रवाल का राजनीतिक प्रभाव लम्बे समय से चर्चा में रहा है। सपा शासन में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम पर कॉलेज का नाम रखा था। 2017 में भाजपा में आने के बाद 2020 में इसका नाम बदलकर नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज कर दिया गया। इस कॉलेज की स्थापना वर्ष 2015 में हुई थी और उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था।

राजनीति में मजबूत पकड़

मुलायम सिंह यादव और आजम खान के करीबी माने जाने वाली डॉ. सरोजिनी 1995 में मेरठ जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। इसके बाद 1996 से 2010 तक सपा की राष्ट्रीय सचिव रहीं। वर्ष 2009 में उन्हें पहली बार एमएलसी मनोनीत किया गया। 2017 में भाजपा सरकार बनते ही उन्होंने सपा से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया।

ईडी की कार्रवाई देर रात तक जारी

गुरुवार तड़के सवा चार बजे से शुरू हुई ईडी की कार्रवाई देर रात तक जारी रही। टीम ने किसी भी कर्मचारी या रिश्तेदार को परिसर में प्रवेश नहीं दिया। जांच के दौरान टीम ने बाहर से भोजन मंगवाकर वहीं लिया। छापेमारी के चलते डॉ. सरोजिनी और उनके परिजनों के फोन बंद रहे, यहां तक कि नज़दीकी परिचित भी संपर्क में नहीं आ पाए।

पुलिस वापस लौटी, ईडी ने पूरी कार्रवाई गोपनीय रखी

जांच की जानकारी मिलते ही सीओ किठौर प्रमोद कुमार सिंह स्थानीय पुलिस बल के साथ कॉलेज पहुंचे, लेकिन ईडी पहले ही पैरामिलिट्री बल के साथ पहुंच चुकी थी। बाद में पुलिस टीम लौट गई।
डॉ. सरोजिनी अग्रवाल ने कहा कि "जांच प्रक्रिया में ईडी की टीम को पूरा सहयोग दिया जा रहा है।"