खुर्जा से साहनेवाल के बीच 400 किलोमीटर लंबे पूर्वी समर्पित माल गलियारे (ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) का संचालन अब ईडीएफसीसीआईएल (Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited) को सौंप दिया गया है। इस मार्ग में कुल 20 स्टेशन शामिल हैं, जिनकी सुपुर्दगी रेलवे से औपचारिक रूप से पूरी कर ली गई है।
ईडीएफसीसी की 10 यूनिटों में से अंबाला यूनिट को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए देश में प्रथम स्थान पर चुना गया है। यह सम्मान दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित समारोह में मुख्य प्रबंध निदेशक प्रवीण कुमार ने यूनिट प्रमुख पंकज कुमार गुप्ता और उनकी टीम को ओवरऑल एफिशिएंसी शील्ड प्रदान कर दिया।
फिलहाल किसी स्टेशन को नहीं मिला कार्गो टर्मिनल का दर्जा
कॉरिडोर के तहत जिले में पांच स्टेशन शामिल हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी अभी तक वाणिज्यिक स्टेशन या “गति शक्ति कार्गो टर्मिनल” का दर्जा नहीं दिया गया है। इससे स्थानीय औद्योगिक उत्पादों के परिवहन और निर्यात की संभावनाएं सीमित बनी हुई हैं।
अंबाला यूनिट के सीजीएम पंकज गुप्ता के अनुसार, मेरठ जिले के न्यू मोहिउद्दीनपुर स्टेशन को जीएससीटी के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव तो स्वीकृत हुआ था, लेकिन भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है।
ट्रैक पर रोज़ाना दौड़ रही हैं 30 मालगाड़ियां
खुर्जा से साहनेवाल तक का 400 किमी लंबा सिंगल ट्रैक फिलहाल रोज़ाना लगभग 30 मालगाड़ियों के परिचालन को संभाल रहा है। परियोजना से जुड़े दो सेक्शनों को दो अलग-अलग कंपनियों ने पूरा किया। रेलवे की सुरक्षा समिति द्वारा जांच और अनुमोदन के बाद यह ट्रैक औपचारिक रूप से ईडीएफसीसी को संचालन हेतु सौंपा गया।
नई तकनीक से बढ़ी सुरक्षा, लगे बफर स्टॉप
इस गलियारे पर मालगाड़ियों की औसत गति अब 50 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाई गई है। किसी आपात स्थिति जैसे ब्रेक फेल या सिग्नल त्रुटि में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक “बफर स्टॉप” लगाए जा रहे हैं। पिलखनी से साहनेवाल तक अधिकांश स्टेशनों पर यह व्यवस्था पूरी हो चुकी है, जबकि खुर्जा से पिलखनी तक का कार्य एलएंडटी कंपनी द्वारा तेजी से किया जा रहा है