मुजफ्फरनगर। बजरंग दल में पिछले चार वर्षों से सक्रिय रूप से कार्य कर रहे सुमित बजरंगी ने संगठन से इस्तीफा दे दिया है। उनके साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भी बजरंग दल को अलविदा कह दिया। सुमित बजरंगी ने जिला अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए संगठन में अनुशासनहीनता और समूहबाजी का मुद्दा उठाया है। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर संगठन के भीतर चल रही उथल-पुथल को उजागर कर दिया है।

सुमित बजरंगी ने बताया कि उन्होंने पिछले चार सालों में शुक्रताल, भोपा, चरथावल और अन्य क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं को संगठित करने का काम किया। उनके नेतृत्व में इन क्षेत्रों में सैकड़ों कार्यकर्ता तैयार किए गए थे, जो संगठन के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे थे। हालांकि, उनका कहना है कि जिला अध्यक्ष ने उनके प्रयासों को नजरअंदाज किया और संगठन के भीतर ग्रुपबाजी को बढ़ावा दिया, जिससे अनुशासनहीनता फैली।

सूत्रों के अनुसार, सुमित बजरंगी ने इस मुद्दे को लेकर जिला अध्यक्ष से बैठक के जरिए बात करने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद, जनपद की आनंदपुरी स्थित पाल धर्मशाला में एक मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में सुमित बजरंगी और उनके समर्थकों ने बजरंग दल से अलग होने का फैसला लिया।

इस इस्तीफे ने बजरंग दल के संगठनात्मक ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुमित बजरंगी ने कहा कि वे और उनके साथी कार्यकर्ता संगठन के लिए दिन-रात मेहनत करते थे, लेकिन उनकी मेहनत को महत्व न मिलने और ग्रुपबाजी के चलते वे अब आगे बढ़ने को मजबूर हुए हैं। इस घटना के बाद स्थानीय स्तर पर संगठन के भविष्य और नेतृत्व पर चर्चा तेज हो गई है।

फिलहाल, बजरंग दल के जिला नेतृत्व की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस इस्तीफे का संगठन पर क्या प्रभाव पड़ता है और सुमित बजरंगी अपने समर्थकों के साथ आगे क्या कदम उठाते हैं।