मुजफ्फरनगर। तितावी थाना क्षेत्र के काजीखेड़ा गांव में पकड़े गए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के मामले को प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा माना है। जांच में खुलासा हुआ है कि इस नेटवर्क ने करीब 20 हजार कॉल को रूट कर लगभग 10 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब इसकी जांच एटीएस को सौंप दी गई है।
पांच जून को साइबर थाने की टीम ने बुढ़ाना मोड़ के पास से काजीखेड़ा निवासी मोसीन, उसके बहनोई फिरोज (मवाना, मेरठ) और रिश्तेदार सद्दाम हुसैन (कम्हेडा, ककरौली) को कार सहित गिरफ्तार किया था। वाहन से बरामद उपकरणों के आधार पर पता चला कि यह गिरोह अवैध वीओआईपी (Voice Over Internet Protocol) कॉल एक्सचेंज चला रहा था। ये आरोपी विदेशों से आने वाली कॉल को इंटरनेट के जरिए भारत में ट्रांसफर कर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।
पूछताछ में इनके मास्टरमाइंड मवाना के जुनेद का नाम सामने आया, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरोह के सदस्य महाराष्ट्र, करनाल, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब समेत कई राज्यों के लोगों को गुमराह कर उनके दस्तावेज पर सिमकार्ड हासिल करते थे। इन सिमकार्ड को सिम बॉक्स में लगाकर वीओआईपी कॉल की जाती थीं। कॉल को एनीडेस्क, टीमव्यूअर और मिरर एप जैसी वर्चुअल आईडी के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता था, जिससे पहचान छिपी रहती थी।
वीओआईपी कॉल कैसे बनती है ठगी का हथियार
इंटरनेट आधारित वीओआईपी कॉल में नंबर की पहचान छिप जाती है और कॉलर की लोकेशन ट्रेस करना बेहद कठिन होता है। इसी तकनीक का उपयोग कर ठगों ने न सिर्फ बड़ी संख्या में ठगी की बल्कि अंतरराष्ट्रीय कॉल टैक्स से बचकर सरकार को भी राजस्व नुकसान पहुंचाया।
काजीखेड़ा से होता था कॉल फॉरवर्डिंग का पूरा खेल
पकड़े गए तीनों आरोपी गिरोह से मिले नंबरों पर कॉल ट्रांसफर कराते थे। इसके बदले उन्हें क्रिप्टोकरेंसी के जरिए विदेशी मुद्रा मिलती थी, जिसे बाद में भारतीय रुपये में बदला जाता था।
साइबर थाना संसाधनों की कमी से जांच प्रभावित
यह मामला अंतरराष्ट्रीय कॉलिंग नेटवर्क से जुड़ा होने के कारण तकनीकी रूप से बेहद जटिल था। साइबर थाना पुलिस के पास आवश्यक संसाधनों की कमी थी। साथ ही मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण अधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता थी। इसी आधार पर जांच एटीएस को सौंपी गई है। एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने बताया कि सहारनपुर एटीएस टीम इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच में जुट गई है और फरार तीन आरोपियों की तलाश जारी है।