मुजफ्फरनगर। बुढ़ाना क्षेत्र के गांव बडकता में तालाब भूमि के कथित अतिक्रमण और अवैध मिट्टी खनन के मामले में हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी बुढ़ाना से जवाब तलब किया है। अदालत ने दोनों अधिकारियों को मामले में काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
यह कार्रवाई गांव निवासी ऋषिपाल की ओर से दाखिल याचिका के आधार पर हुई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसने वर्ष 2020 में हुए कथित भूमि घोटाले की शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों और जनसुनवाई पोर्टल पर की, लेकिन हर बार मामले का गलत तरीके से निस्तारण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। आरोप है कि शिकायत के बावजूद संबंधित अधिकारियों ने दोषी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसे बचाने का प्रयास किया गया।
ये हैं आरोप
ऋषिपाल ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन लेखपाल प्रमोद कुमार पाल ने दिसंबर 2020 में खसरा संख्या 214 (जो राजस्व अभिलेखों में तालाब दर्शित है) का क्षेत्रफल अनुचित तरीके से बढ़ा दिया। आरोप है कि तालाब में मछली पालन करने वाले ठेकेदार से मिलीभगत कर लेखपाल ने खसरा संख्या 215 (वृक्षारोपण की भूमि), 216 (खाद के गड्ढों की भूमि) और 213 (आबादी भूमि) से अवैध रूप से मिट्टी खनन कर उसे बेच दिया।
इसके बाद उक्त तीनों खसरों की भूमि को तालाब क्षेत्र में मिलाकर खसरा संख्या 214 में परिवर्तित कर दिया गया। इस अवैध प्रक्रिया से लाखों रुपये का वित्तीय लाभ कमाया गया, जिसका कोई वैध राजस्व रिकार्ड नहीं है।
प्रशासनिक स्तर पर लगातार अनदेखी
शिकायतकर्ता का कहना है कि इस गंभीर प्रकरण की सूचना उप जिलाधिकारी, जिलाधिकारी, मंडलायुक्त और जनसुनवाई पोर्टल पर भी दी गई, लेकिन हर स्तर पर आरोपी को बचाने के उद्देश्य से झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। अंततः न्याय की उम्मीद में ऋषिपाल को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी बुढ़ाना से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगते हुए काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अब अदालत द्वारा अगली सुनवाई में प्रशासन की ओर से दाखिल जवाब पर विचार किया जाएगा।