मुजफ्फरनगर। सनातन के शीर्ष कथावाचकों में सम्मिलित सन्त प्रवर विजय कौशल महाराज जी ने अपने श्री मुख से सहस्रों नगर वासियों को श्रीराम कथा अमृत का पान कराया। कथा शुभारंभ से पूर्व श्रीराम विहार, नई मंडी से 22 नवंबर को प्रातः 10 बजे विशाल कलश यात्रा निकाली गई जो श्री रामलीला भवन तक पहुंची। कथा स्थल पहुंचने से पूर्व नगर परिक्रमा के दौरान धर्म प्रेमियों ने कलश यात्रा का श्री राम के जयकारों से स्वागत किया। कलश यात्रा में नगर के प्रतिष्ठित उद्यमी एवं सनातन प्रेमी कथा संयोजक भीमसेन कंसल व उनके परिजन, राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल तथा अनेक भद्रजन सम्मिलित हुए।

कथा प्रारम्भ करते हुए सन्त विजय कौशल जी ने श्रीराम कथा श्रवण के महात्म का वर्णन करते हुए कहा कि इससे भगवान के दर्शन की इच्छा उत्पन्न होती है। कानों से श्रीराम संबंधी बातें सुनिये और होठों से श्रीराम की बात करिये। रावण द्वारा निष्कासित विभीषण का भी राम कथा सुनकर कल्याण हुआ। कथा के मुख्य यजमान फूलचंद कंसल, श्रीकृष्ण कंसल व अनिल कंसल रहे।
23 नवंबर को श्रीराम कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुजनों को सन्त प्रवर ने भगवान और भक्त के बीच अटूट स्नेह के बंधन का वर्णन सुनाया और अवध तथा अयोध्या के अर्थ को समझाया। जब सन्त विजय कौशल जी ने श्रीराम जन्म प्रसंग सुनाया तो पूरा कथा स्थल राममय हो उठा और महिलाएं राम जन्म की बधाइयां व भजन गाने लगीं।

24 नवंबर को महाराज श्री ने ताड़का वध, श्रीराम विवाह एवं जनक नंदिनी की विदाई का मार्मिक प्रसंग सुना कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया । युवावर्ग को सद् उपदेश देते हुए कहा कि किशोर अवस्था जीवन में सबसे मूल्यवान है। युवा भारतीय संस्कृति, भाषा, वेशभूषा, सात्विक भोजन पर विशेष ध्यान दें। आज की कथा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल, उद्यमी समाजसेवी सतीश गोयल, राकेश बिंदल आदि प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

श्रीराम कथा के चौथे दिन महाराज श्री ने मंथरा एवं कैकेई का प्रसंग सुनाकर सतसंग व कुसंग के प्रभाव से श्रद्धालुजनों को परिचित कराया और कहा कि चाहे सतसंग न करो किन्तु कुसंगति कदापि न करें। आज की कथा में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, कमिश्नर सहारनपुर डॉ. रूपेश कुमार, जिला अधिकारी उमेश मिश्र, मुख्य विकास अधिकारी कमल किशोर भंडारकर, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल निर्वाल, नगरपालिका चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप, गौरव स्वरूप, पूर्व नगर विधायक अशोक कंसल, पूर्व पालिकाध्यक्ष डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा, समाजसेवी सतीश गोयल आदि विशिष्ट जन उपस्थित थे।
पांचवें दिन की कथा में महाराज श्री विजय कौशल जी ने श्रीराम के वन गमन, रामजी के वियोग में अयोध्या नरेश दशरथ के प्राण त्याग, चित्रकूट में श्रीराम एवं भरत के मिलन तथा अयोध्या के सूनेपन का कारुणिक वृतांत सुना कर श्रद्धालुओं को भावुक कर दिया और भ्रात प्रेम की महिमा का बखान किया। राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा, रा. स्व. संघ के क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख आनन्द जी, सह प्रान्त कार्यवाह सेवादास, विभाग प्रचारक भूपेन्द्र कुमार, पूर्व विधायक अशोक कंसल आदि अनेक विशिष्ट जनों ने कथा श्रवण की।

27 नवंबर की कथा में सन्त प्रवर ने सूर्पणखा प्रकरण, खरदूषण वध, सीता हरण, मां शबरी का उद्धार, श्रीराम-सुग्रीव मित्रता के प्रसंग सुना भक्तों को भाव विभोर किया और व्यक्ति के सकारात्मक सोच पर बल दिया। कथा में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, मुजफ्फरनगर के जिला अधिकारी रहे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कौशल राज शर्मा, उत्तराखंड के विधायक दिलीप रावत, गो.सेवा संघ आयोग, उत्तराखंड के अध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा, टिकोला शुगर मिल के निदेशक निरंकार स्वरूप, राकेश बंसल, विनय गोयल आदि श्रोता के रूप में उपस्थित रहे।

कथा व्यास सन्त विजय कौशल महाराज ने कथा के सातवें दिन रामभक्त श्री हनुमान की महिमा का गुणगान किया। कथा में श्रीराम सुग्रीव मित्रता, बाली वध, सुग्रीव का राजतिलक, माता सीता की खोज प्रसंगों का सजीव वर्णन किया। सांसारिक समस्याओं से जूझते हुए सदा ईश्वर का स्मरण करें। वे आप की समस्याओं का समाधान करेंगे। कथा में विशिष्ट जन पूर्व आईजी पुष्पक ज्योति, सुरेन्द्र सिंह नेगी, सतीश जैन, राकेश बिंदल, आकाश कुमार, विकास स्वरूप बंसल, आदि उपस्थित थे।
श्रीराम कथा के विराम के दिन शारदा पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु राजराजेश्वराश्रम महाराज विशेष रूप से हरिद्वार से पधारे। कहा राम की महिमा अनन्त है। उनकी कथा कहने वाले, सुनाने वाले, और सुनने वाले भी अनन्त हैं। हरि अनन्त, हरि कथा अनन्ता। हिन्दूराष्ट्र और धर्म की रक्षा को सन्नध रहे।

कथा व्यास विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि कलयुग में श्रीराम राम का गुणगान ही भगवत प्राप्ति का एकमात्र साधन है। बताया कि राम नाम लिखे पत्थर कैसे समुद्र में तैरते रहे और रामसेतु का निर्माण हो गया।
कथा समापन पर महाराज श्री ने श्रीराम-रावण युद्ध एवं राज्याभिषेक के प्रसंग सुनाये और कथा श्रवण करने वाले श्रद्धालुओं एवं संयोजक भीमसेन कंसल एवं अन्य को धन्यवाद किया। तत्पश्चात् भोजन प्रसाद, भंडारे का आयोजन हुआ। महाराज श्री ने श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन में मुजफ्फरनगर में सर्वप्रथम गिरफ्तारी देने वाले, नगर पालिका परिषद, मुजफ्फरनगर के पूर्व चेयरमैन डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा तथा राष्ट्रवादी चिन्तक एवं कारोबारी अरुण खंडेलवाल को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ज्ञानचंद सिंघल, रमेश भाई, साई केवल राम, ललित महेश्वरी, श्याम सुन्दर तायल, श्यामपाल भाई, तथा जगदीश जैन के पुत्र पंकज जैन, विजय जैन के पुत्र अजय कुमार जैन, जयपाल जी की पत्नी सावित्री देवी तथा नगर के प्रतिष्ठित कारोबारी एवं समाजसेवी लाला अष्टमीचन्द के पुत्र गंगा प्रताप जी ने सम्मान पत्र प्राप्त किया। आन्दोलन में सहभागिता करने वालों तथा उनके परिजनों को भी सम्मानित किया गया।

धर्मपरायण उद्यमी भीमसेन कंसल तथा उन के समस्त परिवार जनों ने श्रीराम कथा का आयोजन कर अपूर्व सेवा की। उनका यह सद् प्रयास प्रशंसनीय है। महाराज श्री की तो दीर्घकाल से मुजफ्फरनगर पर अनन्त कृपा रही है। उनका स्नेह एवं कृपा अवर्णीय है। वे सन् 1978 से 1984 तक मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचारक रहे। 6 मार्च 1983 को मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में विराट हिन्दू सम्मेलन में लाखों लोगों की उपस्थिति में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का किया था आगाज। तब वे सम्मेलन के संयोजक थे और डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा सह-संयोजक थे।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, श्रीराम जन्म भूमि आन्दोलन के मुजफ्फरनगर में अग्रणी और नगर पालिका परिषद के पूर्व चेयरमैन डॉ. सुभाष चन्द्र शर्मा की कृपा एवं सौजन्य से सन्त विजय कौशल महाराज के दर्शन एवं आशीर्वाद का सौभाग्य प्राप्त हुआ। धर्मप्रेमी भीमसेन कंसल जी के श्रीराम विहार स्थित आवास पर सन्त प्रवर के दर्शन किये। महाराज श्री ने स्नेह पूर्वक न सिर्फ आशीर्वाद देकर कृतार्थ किया वरन् अपने पास बैठाकर पीठ थपथपाई। महाराज श्री ने बताया कि मुजफ्फरनगर प्रवास के दौरान मैं 'देहात' व उसके संस्थापक संपादक स्व. राजरूप सिंह वर्मा से परिचित था। अनेक बार वहां गया, जहां राजकुमार (पप्पन) उनको अपनी गाड़ी में लेकर जाता था। महाराज श्री ने पप्पन की सेवा और उनके साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अनेक कथाओं में जाने का भी उल्लेख किया। मैंने (गोविंद वर्मा) ने महाराज श्री को स्मरण कराया कि जब आप आनन्द मार्केट में जिनेन्द्र प्रेस के बराबर में रा.स्व.स. कार्यालय में आवास करते थे तब आपके दर्शनों का सौभाग्य मिला था। महाराज श्री ने आशीर्वाद एवं प्रसाद प्रदान कर अनुग्रहित किया। तपस्वी रामभक्त की कृपा से अभिभूत हूँ।
संत विजय कौशल महाराज त्यागी-तपस्वी के रूप में करोड़ों श्रद्धालुजनों तक श्री राम रस का अमृत पान कराने में दशकों से सक्रिय है। उनकी महान कृपा निरंतर बनी रहे और उनकी दया से भारतवासी उपकृत होते रहे, समस्त ब्रह्मांड के स्वामी श्री राम से हमारी याचना है।
गोविंद वर्मा (संपादक 'देहात')