शामली:  सोरम में आयोजित सर्वखाप महापंचायत के दौरान गठवाला खाप दो खेमों में बंट गया। चौधरी राजेंद्र मलिक द्वारा महापंचायत के बहिष्कार की अपील के बावजूद, गठवाला खाप के चार थांबेदार – लांक, फुगाना, सोहजनी और हसनपुर – महापंचायत में शामिल हुए। इस कदम से खाप के अंदरूनी मतभेद स्पष्ट रूप से सामने आए।

बालियान खाप पिछले छह महीनों से इस महापंचायत की तैयारियों में लगा था। इसी बीच गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक और बहावड़ी थांबेदार श्याम सिंह मलिक ने महापंचायत के चौधरियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसका पूर्ण बहिष्कार करने की घोषणा की थी। शनिवार को लिसाढ़ में राजेंद्र मलिक के आवास पर हुई पंचायत में यह स्पष्ट किया गया कि जो भी व्यक्ति रविवार को सोरम महापंचायत में जाएगा, उसके खिलाफ 15 दिसंबर को होने वाली लिसाढ़ पंचायत में कार्रवाई होगी।

इसके विपरीत, तीन दिन पहले चूनसा गांव के किसान नेता और पूर्व सैनिक विदेश मलिक ने मुंडेट कला में बैठक कर महापंचायत के समर्थन में लोगों को शामिल होने की अपील की थी। रविवार को महापंचायत शुरू होने पर गठवाला खाप के चार थांबेदार और बड़ी संख्या में लोग सोरम पहुंचे। सोरम महापंचायत का उद्घाटन लिसाढ़ गांव के ब्राह्मण समाज के सतेंद्र कुमार ने किया।

विदेश मलिक ने कहा कि उन्होंने समाजहित में महापंचायत में भाग लिया। उन्होंने बताया कि लिसाढ़ पंचायत भाकियू के अराजनीतिक संगठन की थी, जिसका संचालन खाप प्रतिनिधियों ने नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट किया, "अगर समाजहित में शामिल होने के कारण हमें सजा देनी है, तो उनका फरमान सिर आंखों पर।"

लांक के थांबेदार रविंद्र मलिक और सोहजनी के थांबेदार रविंद्र कुमार ने कहा कि उन्हें शनिवार की पंचायत का कोई न्योता नहीं मिला था। उन्होंने यह भी कहा कि महापंचायत में शामिल होना चौधरी राजेंद्र मलिक का व्यक्तिगत निर्णय है, पूरे गठवाला खाप का नहीं।

गठवाला खाप के नेतृत्व ने साफ किया कि 15 दिसंबर को लिसाढ़ पंचायत में सोरम महापंचायत में शामिल होने वालों पर अंतिम फैसला किया जाएगा। राजेंद्र मलिक और श्याम सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि हसनपुर उनका वास्तविक थाबा नहीं है, बल्कि यह लिसाढ़ से जुड़ा हुआ है और हसनपुर का थाबा बालियान खाप ने पेश किया था।