जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार को हुए भयावह आतंकवादी हमले पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में 27 लोगों की मौत हो हुई है। इन इस्लामिक आतंकियों ने इन टूरिस्टो का धर्म के आधार पर अलग किया था और फिर हिंदू पुरुषों को बच्चों के सामने गोली मारी थी।

इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि हाल के वर्षों में आतंकवादी गतिविधियों का बड़ा हिस्सा और उनमें से सबसे विनाशकारी घटनाएँ इस्लाम के नाम पर की गई हैं। इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी “अबू बकर अल-बगदादी” ने लोगों को जिहाद में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हुए कहा था कि "जिहाद वह मिशन है, जिसका आदेश अल्लाह ने दिया है।"
इस्लामिक आतंकी कुरान की आयतों के जिन मूल"सिद्धांतों" का पालन करते है, उसके अनुसार काफिरों का कत्ल अल्लाह के आदेश पर करने से हत्या का दोष उनपर नहीं लगेगा जैसे कुरान में सूरा 9 आयत 14 के अनुसार “उनसे लड़ो, अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और तुम्हें उन पर विजय प्रदान करोगे और ईमानवाले लोगों के दिलों को संतुष्ट करेगा।“ इसी प्रकार कुरान में सूरा 5 आयत 123 के अनुसार ”हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) उन ‘काफिरों’ (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो, जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें और जान लो कि अल्लाह नेक लोगों के साथ है।”

The History of Jihad From Muhammad to ISIS by Robert Spencer 2018 के पेज 217 के अनुसार इस्लामिक जिहादी हारे हुए भू-भाग को पुन: वापस लेने की सोच रखते है। कुरान में सूरा 2 आयत 191 के अनुसार कि “तुम उन्हें वहाँ से निकाल दो, जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला है”, भारत का कश्मीर भी इस्लामिक कट्टरपंथियों की इसी सूचि में शामिल है।

The Legacy of Jihad: Islamic Holy War by Andrew G. के पेज 161 के अनुसार 'जिहाद मुस्लिम समुदाय में एक अनिवार्य धार्मिक कर्तव्य है, क्योंकि मुस्लिम मिशन की सार्वभौमिकता पूरी दुनिया का इस्लामीकरण करना और हर व्यक्ति को अनुनय या बल से इस्लाम में परिवर्तित करना है।'

कुरान में बाद की आयतें पहले की शांतिपूर्ण आयतों को रद्द करती हैं, अर्थात तलवार की आयतें शांति की आयतों को रद्द करती हैं। उदाहरण के लिए, बहुत ज़्यादा उद्धृत की जाने वाली आरंभिक आयत, "धर्म में कोई ज़बरदस्ती न हो", बाद की आयतों में कई बार निरस्त कर दी गई है। यदि ये सिद्धांत मुस्लिम धर्म का हिस्सा बने रहेंगे, तो इस्लाम संभवतः शांति का धर्म नहीं हो सकता।

इस्लामी आतंकवादी संगठन कई दशक से "जिहाद वह मिशन है, जिसका आदेश अल्लाह ने दिया है।" के "सिद्धांत" पर भारत को निशाना बना रहे हैं। कश्मीर में लड़ रहे आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित करने से इन संगठनों को भारतीय भूमि में हिंसा फैलाने की अपनी क्षमता का निर्माण करने का मौका मिला है। भारत के राज्य जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पर्यटक स्थल पर दिनांक 22-04-2025 को बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश है।

सन 1990 के दशक के मध्य और अंत में, मुख्य रूप से पाकिस्तानी भर्ती आधार वाले आतंकवादी संगठनों ने कश्मीर संघर्ष में तेजी से प्रमुख भूमिका निभानी शुरू कर दी थी, और हरकत-उल-मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, व जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान ने पोषित किया था।
पाकिस्तान ने इन समूहों को नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ करने के लिए व्यापक पनाहगाह, संसाधन और सहायता प्रदान की। इस तरह, कश्मीर ने आतंकवाद के लिए एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक आधार तैयार किया, जो भारत की सड़कों पर छाने लगा। आतंकवादी संगठन हरकत, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद आईएसआई की बंदूकें, पैसा और प्रशिक्षण लेकर कश्मीर व से उससे बाहर भी हमला करने लगे।

कश्मीर में संघर्ष, जिसमें कट्टरपंथी पाकिस्तानी समूहों की मौजूदगी बढ़ रही थी, और कश्मीर के मुसलमानों का एक हिस्सा उनके संदेश को सुनने और अंततः इसे स्वीकार करने के लिए तैयार था, जिस करण सन 1990 में लाखों हिन्दुओ को कश्मीर घाटी छोडनी पड़ी थी।

भारत की चुनौती आगे की कट्टरता को रोकना है, साथ ही साथ आतंकवादी संगठनों और उनके समर्थकों को सफलतापूर्वक नियंत्रित करना है। भारत की सभी सरकारों को देखना चाहिए कि हमारी मस्जिदों में क्या उपदेश दिया जा रहा है या हमारे मदरसों या मुस्लिम स्कूलों में क्या पढ़ाया जा रहा है।
दुनिया में जिहाद को पैगम्बर मुहम्मद की ओर से एक वैचारिक आदेश के रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं, जिसका आज भी उसी रूप में पालन किया जाता है, जैसा कि वह हदीस से पैगम्बर मुहम्मद को उद्धृत करते हैं।

कुछ वर्ष पहले लंदन के प्रमुख मुसलमानों के एक समूह के अनुरोध पर वहां के इमामों ने लंदन ब्रिज पर तीन आतंकवादी हमलावरों के लिए अंतिम संस्कार की नमाज़ पढ़ने से इनकार कर दिया गया था, जिन्हें सात लोगों की हत्या करने और 48 अन्य को घायल करने के बाद गोली मार दी गई थी।
भारतीय मुसलमानों को इस्लाम के उन मूल "सिद्धांतों" की निंदा करनी होगी, जिनका ये आतंकी पालन करते है। क्योकि “जब तक मुसलमान कुरान के वे"सिद्धांतो" जिनका पालन आतंकी करते है उनको अस्वीकार नहीं करेंगे, तब तक आतंक नहीं रुकेगा"। अंत में, इस्लामी दुनिया को इस्लामिक आतंक को खत्म करने के लिए खुद गम्भीर कदम उठाने होंगे।

पहलगाम आतंकी हमला पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के एक बयान पर विवाद हो गया है। रॉबर्ट वाड्रा ने कहा है कि पहलगाम में आतंकियों ने गैर-मुस्लिमों को इसलिए निशाना बनाया, क्योंकि उन्हें लगता है कि देश में मुसलमानों के साथ गलत बर्ताव हो रहा है।हम उनके इस ब्यान की निंदा करते है।

हम भारत सरकार से भी कहना चाहते है कि हमारी सुरक्षा को हमेशा मजबूत किया जाना चाहिए।

अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन