शाहपुर (मुजफ्फरनगर)। सर्वजातीय सर्वखाप पंचायत के हालिया निर्णयों का पालन गांवों में अब शुरू हो गया है। इसका पहला उदाहरण गांव सोरम में देखने को मिला, जहां चौधरी अजब सिंह के पांच दिन पूर्व निधन के बाद उनकी तेरहवीं समारोह में मृत्यु भोज नहीं किया जाएगा और अस्थियों का पारंपरिक विसर्जन भी नहीं होगा।
96 वर्षीय चौधरी अजब सिंह का 15 नवंबर को निधन हुआ था। परिवार की इच्छा थी कि पिता की तेरहवीं और मृत्यु भोज का आयोजन किया जाए, क्योंकि वे आर्थिक और सामाजिक रूप से सम्पन्न थे। लेकिन सर्वखाप पंचायत के निर्णय के बाद गांव में ही यह संदेश गया कि आयोजन में सादगी बरतें।
गुरुवार देर शाम, सर्वखाप मंत्री चौधरी सुभाष बालियान और बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत शोक संतप्त परिवार के घर पहुंचे। उन्होंने परिवार को पंचायत के निर्देशों से अवगत कराया और आग्रह किया कि तेरहवीं समारोह में अनावश्यक खर्च और मृत्यु भोज से बचा जाए।
परिवार ने उनके सुझाव का सम्मान करते हुए सहमति दी कि 27 नवंबर को होने वाली तेरहवीं केवल हवन, शोक सभा और प्रसाद वितरण के साथ साधारण रूप में संपन्न होगी। इसके साथ ही चौधरी टिकैत ने यह भी प्रस्ताव रखा कि अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने की बजाय खेत में दबाकर एक पौधा लगाया जाए, जिससे आने वाली पीढ़ियां उस वृक्ष के माध्यम से अपने बुजुर्ग की याद कर सकें।
सर्वखाप मंत्री सुभाष बालियान ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि सोरम गांव से शुरू हुआ यह संदेश अन्य गांवों और खापों तक भी पहुंचेगा। इस अवसर पर सत्यवीर सिंह, मास्टर रामपाल सिंह, प्रधान करणवीर सिंह, राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता रिटायर्ड सूबेदार सुरेंद्र सिंह, सतेंद्र प्रधान, विजेंद्र बालियान, विकास बालियान, ऋषिपाल चेयरमैन और जितेंद्र प्रमुख गोयला उपस्थित थे।
सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पिता की तेरहवीं के दौरान भोज न करने का यह निर्णय पंचायत के प्रस्ताव के अनुरूप लिया गया है और इसे एक सकारात्मक सामाजिक परंपरा के रूप में अपनाया जाएगा।