मुख्तार की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित, 31 मई को हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला

विधायक निधि गबन के मामले में जेल में बंद मऊ विधायक मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। कोर्ट अब इस मामले में अपना फैसला 31 मई को सुनवाएगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की खंडपीठ कर रही थी।

याची पक्ष के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय का तर्क था कि एक स्कूल के लिए विधायक निधि से धन देना कोई अपराध की बात नहीं है। यह जनहित का काम है और शिक्षा से जुड़ा हुआ है। इसमें उन्होंने गबन करने केलिए कोई आपराधिक षड़यंत्र नहीं है और इसका कोई साक्ष्य नहीं है। याची को सिर्फ संभावना के आधार पर झूठे तौर पर फंसाया जा रहा है। अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि विधायक निधि का पैसा देना मुख्य विकास अधिकारी का काम है। उसमें विधायक की कोई भूमिका नहीं होती है।

अपर शासकीय अधिवक्ता ने किया जमानत का विरोध

डीएम मऊ की रिपोर्ट के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि याची के विधायक निधि से निकाले गए धन से स्कूल बनाया गया है। इसमें धन का दुरुपयोग नहीं किया गया है। मामले में जिन्होंने विधायक निधि से स्कूल बनवाया है, उनकी जमानत हो चुकी है और जिन्होंने विधायक निधि से बजट आवंटित किया है, उनके खिलाफ काई कार्रवाई नहीं की गई है। याची को जानबूझकर मामले में टारगेट किया गया और छह साल बाद मुकदमा दर्ज कराया गया।

इसके विरोध में अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और अपर शासकीय अधिवक्ता रतनेंदु सिंह ने जमानत का विरोध किया। कहा कि मामले में सह आरोपी और स्कूल का प्रबंधक आनंद यादव कई मामलों में याची के साथ आरोपी है। बिना मिलीभगत के धन दिया ही नहीं जा सकता है। स्कूल भी जिस भूमि पर बनाया जाना था उस पर बनाने की बजाय अन्यत्र बनाया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।

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