शोकाकुल है पश्चिमी उत्तरप्रदेश !

किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह के पुत्र एवं राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष अजीत सिंह का 82 वर्ष की आयु में आज 6 मई, 2021 को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में कोरोना से निधन होने के समाचार से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों में शोक की लहर छा गई हैं। चौधरी साहब के उत्तराधिकारी होने के नाते वे किसानों में ‘छोटे चौधरी’ के रूप में जाने जाते थे। उनका जन्म 12 फरवरी 1939 को मेरठ जिले के भडोला ग्राम में हुआ था। लखनऊ आईआईटी से बी.एस.सी, खड़कपुर आईआईटी से बी.टेक और इलिनोइस इंस्टीट्यूट शिकागो (अमेरिका) से कंप्यूटर साइंस में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के पश्चात उन्होंने अपना करियर कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में आरंभ किया और 15 वर्षों तक वहां जॉब किया। बाद में भारत में भी 2 वर्षों तक कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में कार्य किया।

चौधरी साहब की मृत्यु के पश्चात वे उनके स्वाभाविक उत्तराधिकारी बने और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष बने। वे पहली बार सन् 1986 में राज्यसभा के सदस्य बने तथा जाट बहुल छपरौली संसदीय सीट से 6 बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। किन्तु 1998 में किसान नेता रघुवीर सिंह शास्त्री के पुत्र सोमपाल शास्त्री से चुनाव हार गए। 2014 के चुनाव में सतपाल सिंह और 2019 के चुनाव में संजीव बाल्यान ने उन्हें मुजफ्फरनगर के संसदीय क्षेत्र से पराजित किया।

अजीत सिंह। अटल बिहारी वाजपेयी, वीपी सिंह, मनमोहन सिंह सरकारों में मंत्री रहे। उनके विषय में धारणा थी कि सरकार चाहे किसी दल की हो, वे मंत्री जरूर बनेंगे। केंद्र में उद्योग मंत्री के रूप में चौ. अजित सिंह ने चीनी मिलों की स्थापना की दूरी की सीमा घटा कर गन्ना बेल्ट में काफी प्रशंसा पाई थी।

चौधरी चरण सिंह जैसे ईमानदार, सादगी पसंद और सरल तथा स्पष्टवादी नेता का पुत्र होने का भरपूर लाभ उन्हें मिला। कवाल कांड से टूट चुके जाट-मुस्लिम गठबंधन को पुनर्स्थापित करने के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया। चौ. अजीत सिंह के निधन से किसानों का हमदर्द नेता बिछड़ गया है। उनके निधन से कृषक और सेक्युलर राजनीति को ठेस पहुंची है। उनके परिवार के प्रति हमारी संवेदनायें हैं। चौधरी चरण सिंह की विरासत को आगे बढ़ाने वाले कृषक नेता के निधन पर हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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